Chaitra Navratri Ghatasthapana Muhurat: आज इस शुभ मुहूर्त में करें कलश स्थापना

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 09 Apr, 2024 06:31 AM

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चैत्र नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है और इसके बाद प्रतिदिन देवी के 9 अलग-अलग स्वरूपों की पूजा होती है। घटस्थापना को कलश स्थापना भी कहते है। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार किसी भी पूजा से

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Chaitra Navratri 2024 Ghatasthapana Muhurat:  चैत्र नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है और इसके बाद प्रतिदिन देवी के 9 अलग-अलग स्वरूपों की पूजा होती है। घटस्थापना को कलश स्थापना भी कहते है। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार किसी भी पूजा से पहले गणेश जी की आराधना करते हैं। हममें से अधिकांश लोग यह नहीं जानते कि देवी दुर्गा की पूजा में कलश क्यों स्थापित करते हैं ? कलश स्थापना से संबंधित हमारे पुराणों में एक मान्यता है, जिसमें कलश को भगवान विष्णु का रूप माना गया है। इसलिए लोग देवी की पूजा से पहले कलश का पूजन करते हैं। पूजा स्थान पर कलश की स्थापना करने से पहले उस जगह को गंगा जल से शुद्ध किया जाता है और फिर पूजा में सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया जाता है।

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कलश को पांच तरह के पत्तों से सजाया जाता है और उसमें हल्दी की गांठ, सुपारी, दूर्वा आदि रखी जाती है। कलश को स्थापित करने के लिए उसके नीचे बालू की वेदी बनाई जाती है और उसमें जौ बोये जाते हैं। जौ बोने की विधि धन-धान्य देने वाली देवी अन्नपूर्णा को खुश करने के लिए की जाती है। मां दुर्गा की फोटो या मूर्ति को पूजा स्थल के बीचों-बीच स्थापित करते है और मां का श्रृंगार रोली, चावल, सिंदूर, माला, फूल, चुनरी, साड़ी, आभूषण और सुहाग से करते हैं। पूजा स्थल में एक अखंड दीप जलाया जाता है जिसे व्रत के आखिरी दिन तक जलाया जाना चाहिए। कलश स्थापना करने के बाद, गणेश जी और मां दुर्गा की आरती करते हैं, जिसके बाद नौ दिनों का व्रत शुरू हो जाता है।

Chaitra Navratri Ghatasthapana Muhurat: आज इस शुभ मुहूर्त में करें कलश स्थापना

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माता में श्रद्धा और मनवांछित फल की प्राप्ति के लिए बहुत-से लोग पूरे नौ दिन तक उपवास भी रखते हैं। नवमी के दिन नौ कन्याओं को जिन्हें मां दुर्गा के नौ स्वरूपों के समान माना जाता है, श्रद्धा से भोजन कराई जाती है और दक्षिणा आदि दी जाती है। चैत्र नवरात्रि में लोग लगातार नौ दिनों तक देवी की पूजा और उपवास करते हैं और दसवें दिन कन्या पूजन करने के पश्चात उपवास खोलते हैं।

देवी दुर्गा की पूजा गुप्त नवरात्रि में भी की जाती है, आषाढ़ और माघ माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाले इस नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहते हैं। हालांकि अधिकांश लोगों को न तो इसकी जानकारी है और न ही वो गुप्त नवरात्र को मनाते हैं। तंत्र साधना और वशीकरण आदि में विश्वास रखने या उसे इस्तेमाल करने वालों के लिए गुप्त नवरात्रि बहुत ज्यादा महत्व रखती है। तांत्रिक इस दौरान देवी मां को प्रसन्न करने के लिए उनकी साधना भी करते हैं।

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राहू काल का समय 09:17 से 10:42 तक इस समय घटस्थपना से बचें।
अभिजीत मुहूर्त कलश स्थापना के लिए अति उत्तम होता है। जो मध्यान्ह 11:44 से 12:29 तक होगा।
चौघड़िया के अनुसार नवरात्री घट स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त 07:06 से 7:30 बजे तक है।
आज का चौघड़िया - अमृत, शुभ, लाभ, चर, उदवेग, काल एवं रोग चौघड़िया

आचार्य पंडित सुधांशु तिवारी
प्रश्न कुण्डली विशेषज्ञ/ ज्योतिषाचार्य
9005804317

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