Edited By Niyati Bhandari,Updated: 08 Apr, 2024 01:32 PM
वास्तुशास्त्र के अनुसार घर में किसी भी चीज को स्थापित करने से पहले कुछ नियमों को ध्यान में रखना चाहिए। जिससे उसकी सकारात्मकता
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Vastu Tips For Navratri Pooja: वास्तुशास्त्र के अनुसार घर में किसी भी चीज को स्थापित करने से पहले कुछ नियमों को ध्यान में रखना चाहिए। जिससे उसकी सकारात्मकता का लाभ उठाया जा सके अन्यथा नकारात्मकता अपना वर्चस्व स्थापित कर लेती है। सभी दिशाओं पर खास देवी-देवता का साम्राज्य स्थापित होता है। उनका पूजन उसी दिशा में करने से पूर्ण रूप से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। प्राचीन मान्यताओं से ज्ञात होता है की देवी दुर्गा का अधिपत्य दक्षिण दिशा में स्थापित है। मां से जुड़ाव के लिए पूजन करते समय ध्यान रखें की मुंह दक्षिण या पूर्व दिशा में होना चाहिए। पूर्व दिशा में मुंह करने से प्रज्ञा जागृत होती है, दक्षिण दिशा में मुंह करने से आत्मिक शांति का अनुभव होता है।
वास्तु के अनुसार ईशान कोण में दैवीय शक्तियां वास करती हैं, नवरात्र के दौरान मां का स्वरूप अथवा कलश स्थापना इसी दिशा में करें।
मां की प्रसन्नता चाहने वाले जातक को पूजा सामग्री दक्षिण-पूर्व दिशा में रखनी चाहिए। जिस कमरे में मां की स्थापना की गई हो उस कमरे में हल्का पीला, हरा अथवा गुलाबी रंग होना चाहिए।
पूजन में एकाग्रता लाने के लिए घर की उत्तर-पूर्व दिशा में प्लास्टिक अथवा लकड़ी से बना पिरामिड रखें। यह नीचे से खोखला होना चाहिए।
हिंदू शास्त्रों अथवा वास्तुशास्त्र के अनुसार कोई भी शुभ कार्य आरंभ करने से पूर्व हल्दी अथवा सिंदूर से स्वस्तिक बनाने का विधान है। पूजन आरंभ करने से पूर्व स्वस्तिक अवश्य बनाएं।
वास्तुशास्त्र के अनुसार शंख बजाने व घंटानाद करने से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं। इससे वातावरण में शुद्धता और पवित्रता का संचार होता है। वैज्ञानिक रूप से भी माना जाता है कि जिस स्थान पर शंख ध्वनि होती है, वहां सभी प्रकार के बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं।