यहां नन्दबाबा और मां यशोदा ने की थी महाकाली की पूजा, नवरात्रि में लगता है भव्य मेला

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 21 Mar, 2023 12:55 PM

miraculous mahakali temple located in pirpur village

कान्हा नगरी मथुरा में ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा स्थल के पीरपुर गांव के पास महाकाली की पूजा स्वयं नन्द बाबा और मां यशोदा ने की थी। मां काली के भव्य मंदिर में नवरात्रि में मेला लगता है। मान्यता है कि नन्दबाबा और यशोदा मां ने

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

मथुरा (वार्ता): कान्हा नगरी मथुरा में ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा स्थल के पीरपुर गांव के पास महाकाली की पूजा स्वयं नन्द बाबा और मां यशोदा ने की थी। मां काली के भव्य मंदिर में नवरात्रि में मेला लगता है। मान्यता है कि नन्दबाबा और यशोदा मां ने जब श्रीकृष्ण से तीर्थ कराने के लिए कहा तो माता-पिता की अधिक आयु को देखते हुए भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा में तीर्थों को प्रकट किया था। पीरपुर ग्राम में स्थित चमत्कारी महाकाली मन्दिर के तपस्वी महन्त बाबा नागरीदास ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण ने तीर्थराज प्रयागराज से एक बार कहा था कि वे खुद लीला करने जा रहे हैं। अत: उन्हें सभी तीर्थों का राजा बनाया जाता है तथा उन्हें सभी तीर्थेां के साथ बृजभूमि में चातुर्मास में रहना है।

1100  रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं। अपनी जन्म तिथि अपने नाम, जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर व्हाट्सएप करें

भगवान श्रीकृष्ण की आज्ञा के अनुसार प्रयागराज सभी तीर्थों के साथ ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा में रहने लगे। भगवान श्रीकृष्ण काफी समय बाद राधारानी के साथ लीला करके लौटे तो उन्होंने प्रयागराज से पूछा कि उन्हें कोई परेशानी तो नहीं हुई । जब प्रयागराज ने मथुरा तीर्थ की शिकायत की और कहा कि उसने उनका कहना नहीं माना है तो श्रीकृष्ण ने उनसे कहा था कि उन्हें तीर्थों का राजा बनाया गया था। अपने घर का राजा नहीं बनाया गया था। मथुरा तीर्थ मेरा घर है। इस पर प्रयागराज ने उनसे क्षमा मांगी तो भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि प्रायश्चित के रूप में वे सभी तीर्थों को लेकर चातुर्मास में ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा में रहेंगे। तब से तीर्थराज तीर्थेां के साथ चातुर्मास में ब्रज में निवास करते हैं। 

बाबा नागरीदास ने बताया कि जब कोई स्थल तीर्थ बन जाता है तो वह सदैव जागृत तीर्थ बना रहता है इसीलिए ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा में स्थिति तीर्थ केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री, नीमसार मिश्रिख, गंगासागर, जगन्नाथ पुरी, महाकाली आदि में वर्ष पर्यन्त पूजा आराधना होती रहती है। भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रज को स्वयं अपना घर बताया है इसलिए ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा में स्थित सभी तीर्थ असाधारण तीर्थ हैं तथा इसी के कारण ब्रज चौरासी कोस की परिक्रमा चौबीसों घंटे नित्य चलती रहती है।

तपस्वी संत ने बताया कि काली शब्द का अर्थ काल और काले रंग से है। मां काली को देवी दुर्गा की दस महाविद्याओं में से एक माना जाता है। मां काली के चार रूप हैं दक्षिणा काली, शमशान काली, मातृकाली और महाकाली। मां काली की विशेषकर बंगाल और असम में पूजा होती है। वैसे तो उज्जैन का मां गढ़कलिका, कोलकाता की काली मां गुजरात के पावागढ़ की शक्ति पीठ बहुत मशहूर हैं पर चौरासी कोस परिक्रमा करने वाले लोग इस महाकाली के चमत्कार को देख चुके हैं इसलिए वे नवरात्रि में इस महाकाली मन्दिर की ओर चुम्बक की तरह खिंचे चले आते हैं।

उन्होंने कहा कि यहां के महाकाली के दरबार में जो आता है उसका नाम पता दर्ज हो जाता है। यहां भक्तों को यदि दान में महाआशीर्वाद मिलता है तो सदकर्मो से विमुख होने वाले को दंड भी मिलता है। दंड मिलने के बाद व्यक्ति अच्छे कर्म करने लगता है तो महाकाली ऐसा आशीर्वाद देती हैं कि व्यक्ति का जीवन धन्य हो जाता है। यहां के महाकाली के मन्दिर में वैसे तो सैकड़ों वर्ष से धूना जल रहा है यानी हवन की आग प्रज्वलित हो रही है पर नवरात्रि में भक्तों के कल्याण के लिए यहां रात्रि में विशेष आराधना होती है। पीरपुर गांव के बाहर ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा के विश्राम स्थल पर निर्जन स्थान पर स्थित इस मन्दिर में पहुंचने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग-2 से जुड़े छाता नौहझील मार्ग पर शेरगढ़ पर रूकना होता है और यहां से लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर चलकर मन्दिर तक पहुंचा जा सकता है। नवरात्रि तथा ब्रज चौरासी कोस की चातुर्मास की परिक्रमा के दौरान यहां भक्तों को हजूम जुड़ है। कुल मिलाकर इस महाकाली मन्दिर के चमत्कार को देवी की आराधना करके ही अनुभव किया जा सकता है।

PunjabKesari kundli

Related Story

IPL
Gujarat Titans

Chennai Super Kings

Match will be start at 23 May,2023 07:30 PM

img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!