Paush Amavasya: कल है पितृदोष से मुक्ति पाने का खास योग

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 22 Dec, 2022 06:42 AM

paush amavasya

हिन्दू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व है। अमावस्या को धर्म ग्रंथों में पर्व भी कहा गया है। यह वह रात होती है, जब चन्द्रमा पूर्ण रूप से नहीं दिखाई देता। हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह में कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन

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Paush Amavasya 2022: हिन्दू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व है। अमावस्या को धर्म ग्रंथों में पर्व भी कहा गया है। यह वह रात होती है, जब चन्द्रमा पूर्ण रूप से नहीं दिखाई देता। हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह में कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन अमावस्या तिथि पड़ती है। इसके बाद शुक्ल पक्ष की शुरुआत हो जाती है। पौष मास की अमावस्या कल शुक्रवार 22 दिसंबर, 2022 को पड़ रही है। वैसे तो शास्त्रों में हर अमावस्या पितरों को समर्पित मानी गई है लेकिन पौष मास की अमावस्या बेहद खास है क्योंकि पौष का पूरा महीना ही पितरों को समर्पित माना जाता है। इसे छोटा पितृपक्ष या मिनी पितृपक्ष भी कहा जाता है। माना जाता है कि इस माह पितरों के निमित्त पिंडदान करने से उन्हें भटकना नहीं पड़ता और वे धरती लोक से सीधे वैकुंठ की ओर प्रस्थान कर जाते हैं। ऐसे में वे अपने वंशजों को आशीर्वाद देकर जाते हैं।

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अमावस्या तिथि को पितृदोष और कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए भी शुभ माना गया है। इस दिन पितरों के लिए पिंडदान करने से उन्हें तमाम यातनाओं से मुक्ति मिल जाती है और वे मोक्ष प्राप्त करते हैं। ऐसे में वे अपने वंशजों से अत्यंत प्रसन्न होते हैं। पितरों के आशीर्वाद से वंशज खूब फलते-फूलते हैं। उनके जीवन में किसी चीज की कमी नहीं रहती।

Paush amavasya 2022 shubh muhurat पौष अमावस्या शुभ मुहूर्त
पौष माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 22 दिसंबर,  गुरुवार को शाम 07 बजकर 13 मिनट आरंभ हो रही है जो अगले दिन 23 दिसंबर, शुक्रवार को शाम 03 बजकर 46 मिनट पर समाप्त हो रही है। इसलिए इस साल पौष अमावस्या 23 दिसंबर को है।

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Paush amavasya 2022 significance पौष अमावस्या महत्व
पौष अमावस्या पर नदी स्नान, पूजा-जाप और तप का विशेष महत्व है। शास्त्रों में बताया गया है कि अमावस्या के दिन गंगा में स्नान कर पूजा करने से व्यक्ति को अमोघ फल की प्राप्ति होती है। वहीं पितरों के निमित्त दान करने से पितृ संतुष्ट होते हैं और उन्हें शांति मिलती है। देशभर में श्रद्धालु अमावस्या के दिन पवित्र नदियों और सरोवरों में आस्था की डुबकी लगाते हैं और तिल-तर्पण भी करते हैं।

पौष अमावस्या पर पितरों को तर्पण करने का विशेष महत्व है। अत: इस दिन पवित्र नदी, जलाशय या कुंड आदि में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद पितरों का तर्पण करें। पौष का महीना धार्मिक और आध्यात्मिक चिंतन के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। चूंकि अमावस्या तिथि पितरों को समर्पित होती है, ऐसे में हर किसी को अपने पितरों की प्रसन्नता के लिए कुछ काम जरूर करने चाहिए-

तांबे के पात्र में शुद्ध जल, लाल चंदन और लाल रंग के पुष्प डालकर सूर्य देव को अर्घ्य दें।

अमावस्या के दिन भगवान कृष्ण की पूजा करें और गीता का पाठ करें।

हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें।

दोपहर के समय पितरों के नाम से तिल और जल से पितरों का पूजन करें।

पितरों को याद करते हुए गरीबों और जरूरतमंदों को वस्त्र, अन्न आदि बांटें।

पीपल के वृक्ष में जल दें और पीपल के नीचे एक दीपक जरूर जलाएं। एक लोटे में पानी और दूध के साथ सफेद तिल मिलाकर पीपल पर चढ़ाने से पितृदोष का असर भी कम होने लगता है।

संभव हो तो अमावस्या के दिन अपने हाथों से पीपल का पौधा लगाएं और उसकी सेवा करें।

पीपल का पूजन करें और सात परिक्रमा करें।

लाल रंग की गाय को मीठी रोटी खिलाएं।

गुरमीत बेदी
gurmitbedi@gmail.com

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