Rameswaram: इस शिवलिंग के दर्शन से ही मिलता रामेश्वरम यात्रा का पुण्य

Edited By Updated: 25 Jan, 2025 08:02 AM

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Rameswaram: भारत की चारों दिशाओं में चार तीर्थ हैं, जिन्हें धाम कहते हैं। इनमें से एक है-रामेश्वरम धाम, जो दक्षिण दिशा में स्थित है। रामेश्वरम की गणना द्वादश ज्योतिर्लिगों में की जाती है जिसकी स्थापना भगवान श्रीराम ने की थी। लंका पर युद्ध करने के...

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Rameswaram: भारत की चारों दिशाओं में चार तीर्थ हैं, जिन्हें धाम कहते हैं। इनमें से एक है-रामेश्वरम धाम, जो दक्षिण दिशा में स्थित है। रामेश्वरम की गणना द्वादश ज्योतिर्लिगों में की जाती है जिसकी स्थापना भगवान श्रीराम ने की थी। लंका पर युद्ध करने के लिए जाते समय जब भगवान श्रीराम यहां पहुंचे, तब उन्होंने समुद्र तट पर बालुका से शिवलिंग बनाकर उसका पूजन किया था। कहा जाता है कि समुद्र तट पर भगवान श्रीराम जल पी रहे थे तभी अचानक एक आकाशवाणी सुनाई पड़ी- ‘मेरी पूजा किए बिना ही जल पीते हो?’

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Which God is in Rameshwaram: इस आकाशवाणी को सुनकर श्रीराम ने बालुका का लिंग बनाकर शिव जी की पूजा की और रावण पर विजय प्राप्त करने का आशीर्वाद मांगा, जो भगवान शंकर ने उन्हें सहर्ष प्रदान किया और उन्होंने ज्योतिर्लिंग रूप में सदैव के लिए रामेश्वरम में वास करने की सबकी प्रार्थना भी स्वीकार कर ली। 

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What is the story behind Rameshwaram temple: श्री रामेश्वरम ज्योतिर्लिग के लिंग स्थापना के विषय में एक अन्य कथा भी है। कहा जाता है कि जब रावण का वध करने भगवान श्रीराम माता सीता को लेकर वापस आने लगे, तब उन्होंने समुद्र के इस पार गंधमादन पर्वत पर पहला पड़ाव डाला था। उसी समय मुनीश्वर भगवान श्री राम की स्तुति हेतु वहां आ गए थे। तभी श्रीराम ने उनका सत्कार करते हुए कहा, ‘‘मुझे पुलस्त्य कुल का विनाश करने के कारण ब्रह्महत्या का पाप लगा है, अत: आप लोग मुझे इस पाप से मुक्ति पाने का कोई मार्ग बताइए।’’ 

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मुनियों ने एक स्वर में कहा, ‘‘आप शिवलिंग की स्थापना कीजिए, इससे आप पाप मुक्त हो जाएंगे।’’

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Who is the founder of Rameshwaram temple: श्रीराम ने हनुमान को कैलाश पर्वत पर जाकर शिवलिंग लाने का आदेश दिया। वह क्षण मात्र में ही कैलाश पर्वत पहुंच गए परन्तु वहां उन्हें भगवान शिव के दर्शन नहीं हुए। अत: उन्होंने तपस्या शुरू कर दी। तपस्या से शिव जी ने प्रसन्न होकर दर्शन दिए तथा उन्हें शिवलिंग देकर भेज दिया।

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इधर जब तक हनुमान जी आए तब तक शुभ मुहूर्त में शिव स्थापना हो भी चुकी थी। मुनियों ने हनुमान जी के आने में विलम्ब समझ कर कहीं शुभ मुहूर्त न निकल जाए, इस आशंका से तुरन्त शिवलिंग स्थापना करने की प्रार्थना की। तब माता जानकी द्वारा बालू से निर्मित शिवलिंग की ही स्थापना कर दी गई। 

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What is special about Rameshwaram temple: हनुमान को यह सब देख कर दुख हुआ और वह श्रीराम के चरणों पर गिर पड़े। श्रीराम ने उन्हें समझाते हुए लिंग स्थापना का कारण बताया, फिर उनकी संतुष्टि के लिए कहा, ‘‘तुम इस स्थापित शिवलिंग को उखाड़ डालो तो मैं इसके स्थान पर तुम्हारे द्वारा लाए शिवलिंग को ही स्थापित कर दूंगा।’’ 

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हनुमान जी प्रसन्न हो गए और उन्होंने शिवलिंग को पूंछ से लपेट कर उखाड़ने का प्रयत्न किया पर सफल नहीं हुए। 

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तब भगवान श्रीराम ने कहा, ‘‘जानकी द्वारा निर्मित और मेरे द्वारा स्थापित शिवलिंग अविचल है, वह हटाया नहीं जा सकता। तुम अपने लाए शिवलिंग को पहले वाले के पास में ही स्थापित कर दो। जो तुम्हारे लाए शिवलिंग के दर्शन नहीं करेगा, उसे रामेश्वरम दर्शन का पुण्य फल प्राप्त नहीं होगा।’’

हनुमान जी ने कैलाश पर्वत से लाए शिवलिंग को वहीं स्थापित कर दिया।

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