Edited By Niyati Bhandari,Updated: 04 Mar, 2023 08:10 AM
शनि देव ने 17 जनवरी को गोचर किया था कुंभ राशि में और उसके बाद कुछ राशियों के ऊपर शनि की साढ़ेसाती शुरू हुई है
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Shani rashi parivartan शनि राशि परिवर्तन: शनि देव ने 17 जनवरी को गोचर किया था कुंभ राशि में और उसके बाद कुछ राशियों के ऊपर शनि की साढ़ेसाती शुरू हुई है और कुछ राशियों के ऊपर से शनि का प्रभाव कम हुआ है। 17 के बाद 30 को शनि अस्त हो गए और अब दोबारा से 5 मार्च को उदय होंगे और ये गोचर बहुत ही महत्वपूर्ण होगा क्योंकि 30 साल बाद शनि कुम्भ राशि में प्रवेश करेंगे। शनि देव की दो राशियां हैं मकर और कुंभ। शनिदेव का प्रिय घर कुम्भ राशि है। शनि का उदय होना इसलिए ज्यादा अहम है क्योंकि शनि 31 साल बाद कुंभ राशि में प्रवेश के दौरान शतभिषा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। शनिदेव जब राहु के नक्षत्र में जाएंगे तो पूरे प्रभावी हो जाएंगे। शतभिषा नक्षत्र कर्म फल देने वाला नक्षत्र है। इसके अच्छे फल देखने को मिलेंगे। 15 अक्टूबर तक शनि इसी नक्षत्र में रहेंगे। इसके बाद फिर धनिष्ठा में जाएंगे और 24 नवंबर को दोबारा शतभिषा में आएंगे। इस नक्षत्र में रहने के दौरान शनि कर्म के हिसाब से फल देंगे।
1100 रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं। अपनी जन्म तिथि अपने नाम, जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर व्हाट्सएप करें
मिथुन राशि: मिथुन राशि के जातकों के लिए शनि देव अष्टम और नौवें दो भावों के स्वामी हैं। शनिदेव का गोचर हो रहा है भाग्य स्थान के ऊपर से। ये गोचर अच्छा नहीं होता। यदि आपकी कुंडली में महादशा या दशा शनिदेव की चल रही है तो अष्टम सक्रिय है। अष्टम भाव से आयु, रोग और दुर्घटना का विचार किया जाता है। भाग्य स्थान के ऊपर से ही शनि का गोचर है। ड्राइविंग थोड़ा संभल कर करें। ये उनके लिए है जिनकी कुंडली में महादशा या अंतर्दशा चल रही है। शनि शुभ गोचर में नहीं हैं। इन दोनों के गोचर फल भी अच्छे नहीं रहेंगे।
शनि देव जब भाग्य स्थान में गोचर करते हैं तो तीसरी दृष्टि से ग्यारहवें भाव को देखते हैं। ग्याहरवां भाव आय का भाव है यानी शनि मनी के फ्लो को प्रभावित कर सकते हैं। यदि आप जॉब करते हैं, फिर कंपनी से कोई उम्मीद रखते हैं तो ज्यादा उम्मीद न रखें। शनिदेव का शुभ गोचर नहीं है। अगली दृष्टि जाएगी तीसरे भाव के ऊपर। तीसरा भाव हिम्मत का, छोटे भाई का भाव होता है। जब शनिदेव इस भाव को देखते हैं तो ये प्रभावित हो सकता है। अगले एक साल तक आप कोई भी फैसला लेने में कंफ्यूज रहेंगे।
शनि देव की दसवीं दृष्टि जाएगी छठे भाव के ऊपर। छठा भाव रोग, ऋण, शत्रु का भाव है। ऐसा हो सकता है कि आपको कर्ज लेना पड़ जाए। यदि कोई आपसे पैसे मांगता है तो उस स्थिति से भी दूर रहें। बेवजह के लड़ाई-झगड़े से दूर रहें।
नरेश कुमार
https://www.facebook.com/Astro-Naresh-115058279895728
