Spiritual rituals for pregnancy: गर्भ में बच्चे को महान बनाते हैं ये 3 संस्कार

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 23 Nov, 2022 11:32 AM

spiritual rituals for pregnancy

आजकल की युवा पीड़ी और नास्तिक लोग आध्यात्मिक सिद्धांतों को नकार रहे हैं। इसका मुख्य कारण उनकी अनभिज्ञता है। वो जानना ही नहीं चाहते हैं कि आखिर आध्यात्म क्या है ?

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Important Birth Rites and Rituals in Hinduism: आजकल की युवा पीड़ी और नास्तिक लोग आध्यात्मिक सिद्धांतों को नकार रहे हैं। इसका मुख्य कारण उनकी अनभिज्ञता है। वो जानना ही नहीं चाहते हैं कि आखिर आध्यात्म क्या है ?

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Spiritual rituals for pregnancy: गर्भाधान संस्कार में सबसे पहले गर्भ धारण की स्थिति और ग्रह गोचर समय को देखा जाता है। अगर ज्योतिष के अनुसार ब्रह्मांड में ग्रहों की गति अनुकूल है तथा ग्रह स्व राशिगत या उच्च स्थिति में भ्रमण कर रहे हैं तो समय अनुकूल है। उस समय गर्भ धारण करना चाहिए। चंद्र कलाओं व तिथियों का संबंध हमारे मन से होता है। अगर चंद्र कला की अवस्था व गति संतुलित है तो शरीर का हर भाग पूर्ण विकसित होता है और मन प्रसन्न रहता है जैसे अमावस्या को चन्द्रमा अस्त होता है तो मनुष्य का मन भी अवसादग्रस्त होता है। अगर ऐसे समय पर गर्भधारण किया जाए तो अवश्य ही बच्चा आलसी या रोगग्रस्त पैदा होता है इसलिए अच्छे ज्योतिषी गर्भ में पल रहे बच्चे के बारे में जानकारी दे देते हैं ।

जैसे किसान फसल के लिए अपने खेत को तैयार करता है तथा उचित समय पर ही फसल को बोता है तो ही अच्छी फसल पैदा होती है। अगर फसल उचित समय पर न बोई जाये तथा खेत को अच्छे से तैयार न किया जाये तो फसल या तो उगती नहीं है या उसकी किस्म उन्नत पैदा नहीं होती है।

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Indian rituals for new born baby: इसी प्रकार गर्भ धारण के लिए उचित समय, मुहूर्त और उचित तिथियों की आवश्यकता होती है अन्यथा बच्चे का भविष्य और विकास उन्नत नहीं होता है। गर्भ धारण तनाव मुक्त होकर तथा मन आत्मा को प्रसन्न अवस्था में रखते हुए करना चाहिए। जितनी मन की प्रसन्न मुद्रा रहेगी तो उतने ही उन्नत शुक्राणु और अंडे का मिलान होगा। तनाव में, क्रोध में, डर में, चोरी से छिपकर और भयभीत अवस्था में किये गये गर्भ धारण में पैदा होने वाले बच्चे हमेशा इन्हीं परिस्थितियों से गुजरते हैं। अमावस्या, पूर्णिमा, रिक्ता तिथियों, पक्ष रंध्रा तिथियों , नपुंसक नक्षत्रों, चंद्र ग्रहण, सूर्य ग्रहण, संधिकाल व क्रूर नक्षत्रों में गर्भधारण नहीं करना चाहिए। ऐसे समय पर किये गए गर्भ धारण से बच्चे मनोविकारी, क्लीव व अस्वस्थ पैदा होते हैं ।

इसलिए ऋषियों ने कहा है कि गर्भधारण संस्कार ही मनुष्य के जीवन की नींव होती है इसलिए ये संस्कार तो सभी धर्म के लोगों की उत्तम संतान के लिए सर्वश्रेष्ठ है।

डॉ एच एस रावत
(सनातन धर्म चिंतक) 

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