साइबर धोखाधड़ी केंद्रों में लोगों को जबरन काम कराने वाले गिरोहों के खिलाफ चीन की सख्त कार्रवाई, चार बड़े अपराधियों को उम्रकैद

Edited By Updated: 24 Feb, 2025 04:52 PM

china jails four for life over telecom fraud

म्यांमार में संचालित साइबर धोखाधड़ी केंद्रों में लोगों को जबरन काम कराने वाले गिरोहों के खिलाफ चीन ने अपनी कार्रवाई तेज कर दी है। इसी कड़ी में...

Bejing: म्यांमार में संचालित साइबर धोखाधड़ी केंद्रों में लोगों को जबरन काम कराने वाले गिरोहों के खिलाफ चीन ने अपनी कार्रवाई तेज कर दी है। इसी कड़ी में सोमवार को एक चीनी अदालत ने चार बड़े अपराधियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। चीन की ‘सुप्रीम पीपुल्स कोर्ट’ (एसपीसी) ने बताया कि इन दोषियों ने चीन से बाहर जाकर दूरसंचार धोखाधड़ी संगठनों की स्थापना की थी। इनमें से एक व्यक्ति, जिसे ‘यू’ कहा जा रहा है, ने कई लोगों को विदेश जाकर इस आपराधिक गतिविधि में शामिल होने के लिए प्रेरित किया था।  एक अन्य आरोपी ‘यांग’ को भी कड़ी सजा दी गई, क्योंकि वह पहले भी इसी अपराध में दोषी पाया जा चुका था।

 

एक और मामले में, दो अपराधियों ने दूरसंचार धोखाधड़ी के लिए नाबालिगों की भर्ती की, जिसके चलते उन्हें भी कठोर सजा दी गई। अदालत ने दोषियों को आदेश दिया कि वे अपने धोखाधड़ी से कमाए गए पैसे वापस करें, जिससे पीड़ितों को न्याय मिल सके।  इस महीने की शुरुआत में भारत समेत 20 देशों के सैकड़ों लोगों को म्यांमार के करेन राज्य में स्थित साइबर धोखाधड़ी केंद्रों से मुक्त कराया गया था। इन केंद्रों में उन्हें जबरन काम करने के लिए मजबूर किया जाता था। ये गिरोह विदेशी श्रमिकों को उच्च वेतन का लालच देकर अपने जाल में फंसाते थे, या फिर उन्हें यह कहकर धोखा देते थे कि वे थाईलैंड में किसी अन्य वैध काम के लिए जा रहे हैं।  
 बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ये घोटालेबाज आमतौर पर अंग्रेजी और चीनी भाषाओं में निपुण लोगों की भर्ती करते थे, ताकि वे ऑनलाइन साइबर धोखाधड़ी को अंजाम दे सकें। ये अपराधी खुद को अधिकारी बताकर लोगों को फोन या ऑनलाइन कॉल के जरिए धमकाते थे और उनसे पैसे ऐंठते थे। इस तरह के ऑनलाइन घोटालों में लोगों को भारी वित्तीय नुकसान उठाना पड़ता था।

 

भारत, चीन और कई अन्य देशों में इस धोखाधड़ी की गूंज सुनाई दे रही है।  बीबीसी ने पहले बताया था कि म्यांमार के करेन राज्य में संचालित इन धोखाधड़ी केंद्रों में जबरन काम कर रहे विदेशी श्रमिकों को ‘डेमोक्रेटिक करेन बेनेवोलेंट आर्मी’ (DKBA) नामक एक सशस्त्र समूह द्वारा मुक्त कराकर थाई सेना को सौंप दिया गया था। कई सशस्त्र समूहों पर आरोप है कि वे इन घोटाला केंद्रों को अपने संरक्षण में चलाने की अनुमति देते हैं और जबरन लाए गए लोगों के साथ अमानवीय व्यवहार की अनदेखी करते हैं। चीन द्वारा इस मामले में उठाए गए कड़े कदमों के बाद अब यह उम्मीद जताई जा रही है कि अन्य देशों में भी ऐसे गिरोहों पर शिकंजा कसा जाएगा और साइबर धोखाधड़ी को रोकने के लिए कड़े कानून बनाए जाएंगे।

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