Deep Sea Mining: समुद्र के नीचे सोना, चांदी और कोबाल्ट! चीन की चुपचाप चाल...

Edited By Anu Malhotra,Updated: 11 Jun, 2025 12:56 PM

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धरती की सतह के नीचे दबे खनिज संसाधनों का दोहन इंसान सदियों से करता आ रहा है। लेकिन अब नजरें गहराते समुद्र की अंधेरी परतों में छिपे नए खजाने पर टिक चुकी हैं। यही है ‘डीप सी माइनिंग’, यानी समुद्र की सतह से हजारों मीटर नीचे मौजूद दुर्लभ खनिजों का खनन।...

नेशनल डेस्क: धरती की सतह के नीचे दबे खनिज संसाधनों का दोहन इंसान सदियों से करता आ रहा है। लेकिन अब नजरें गहराते समुद्र की अंधेरी परतों में छिपे नए खजाने पर टिक चुकी हैं। यही है ‘डीप सी माइनिंग’, यानी समुद्र की सतह से हजारों मीटर नीचे मौजूद दुर्लभ खनिजों का खनन। कई देश इस दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहे हैं, और इस दौड़ में चीन भले ही सक्रिय रूप से खनन नहीं कर रहा हो, लेकिन वो एक बड़ी रणनीति पर चुपचाप काम कर रहा है।

क्या होता है डीप सी माइनिंग?

डीप सी माइनिंग वह प्रक्रिया है जिसमें समुद्र की गहराई में मौजूद धातुओं और खनिजों को निकाला जाता है। यह प्रक्रिया आसान नहीं होती क्योंकि इसे अंजाम देने के लिए अत्याधुनिक तकनीक, उन्नत मशीनरी और गहराई में काम करने की काबिलियत चाहिए। समुद्र के अंदर मौजूद खनिज जैसे कोबाल्ट, निकल, तांबा, ज़िंक, मैग्नीशियम, और यहां तक कि सोना, चांदी और हीरे तक, टेक्नोलॉजी, ऊर्जा और रक्षा सेक्टर में बेहद अहम माने जाते हैं।

चीन की रणनीति: अभी खनन नहीं, पर तैयारी ज़ोरों पर

फिलहाल चीन समुद्र की गहराइयों में खुदाई नहीं कर रहा है, लेकिन इसके पीछे उसकी कोई कमजोरी नहीं, बल्कि एक सोची-समझी रणनीति है। चीन जानता है कि भविष्य में खनिज संसाधनों पर निर्भरता और प्रतिस्पर्धा और बढ़ेगी। इसी को देखते हुए वह इस क्षेत्र में खुद को मजबूत करने के लिए लंबी योजना पर काम कर रहा है।

चीन की कई सरकारी और निजी कंपनियां इस क्षेत्र में तकनीक विकसित करने में जुटी हैं। उसका मकसद यह है कि जब भविष्य में समुद्री खनिजों की दौड़ तेज हो, तो वह किसी भी मोर्चे पर पीछे न रहे। फिलहाल उसकी कोशिश है कि वो अपने तकनीकी ढांचे को मजबूत करे, ताकि आवश्यकता पड़ने पर अपने लिए खनिजों का एक स्थायी स्रोत विकसित कर सके।

क्या चीन बन सकता है गेमचेंजर?

दुनिया भर में समुद्री खनन को लेकर कई तरह की चिंताएं भी हैं—जैसे पर्यावरणीय प्रभाव, समुद्री जैव विविधता को नुकसान और अंतरराष्ट्रीय विवाद। लेकिन चीन जैसे देश जो तकनीक, निवेश और भू-राजनीति में तेजी से फैसले लेते हैं, वो इस क्षेत्र में जल्दी ही लीडर बन सकते हैं।

चीन को ऊर्जा और संसाधनों की लगातार बढ़ती ज़रूरतें किसी से छिपी नहीं हैं। ऐसे में समुद्र के नीचे छिपे खनिज उसके लिए ‘स्टैटेजिक रिज़र्व’ की तरह हो सकते हैं। यह भविष्य की वह दौड़ है जिसमें अभी कोई फाइनल मुकाबला शुरू नहीं हुआ, लेकिन खिलाड़ी मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं—और चीन सबसे चुपचाप लेकिन गहरी तैयारी करने वाला खिलाड़ी बन चुका है।

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