Edited By Pardeep,Updated: 20 Jun, 2025 06:00 AM

बुधवार रात, इजराइली वायुसेना (IAF) ने ईरान की सीमा के अंदर गहराई तक हमला करते हुए कई अहम ठिकानों पर बमबारी की। इस हमले को "ऑपरेशन राइजिंग लायन" (Operation Rising Lion) नाम दिया गया है।
इंटरनेशनल डेस्कः बुधवार रात, इजराइली वायुसेना (IAF) ने ईरान की सीमा के अंदर गहराई तक हमला करते हुए कई अहम ठिकानों पर बमबारी की। इस हमले को "ऑपरेशन राइजिंग लायन" (Operation Rising Lion) नाम दिया गया है।
40 फाइटर जेट और 100 से ज़्यादा गाइडेड बम इस्तेमाल
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40 लड़ाकू विमान इस मिशन में शामिल थे।
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इन विमानों ने 100 से अधिक सटीक निशाने वाले बम (precision-guided bombs) गिराए।
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हमले में ईरान की परमाणु सुविधाएं, मिसाइल निर्माण केंद्र और एयर डिफेंस सिस्टम को निशाना बनाया गया।
कहां-कहां हुए हमले?
इजराइली वायुसेना ने इन शहरों और इलाकों में हमले किए:
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तेहरान (राजधानी)
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ईरान का परमाणु केंद्र नतांज (Natanz)
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अराक (Arak) भारी जल रिएक्टर
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इस्फहान, शीराज और करमनशाह जैसे प्रमुख शहर
अराक (Arak) रिएक्टर पर बड़ा हमला
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हमला अराक शहर के पास बने IR-40 भारी जल रिएक्टर पर हुआ, जिसे "खोंदाब रिएक्टर" भी कहा जाता है।
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यह रिएक्टर 1997 से निर्माणाधीन है और अभी चालू नहीं हुआ था।
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IAEA (अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी) ने पुष्टि की है कि साइट पर हमला हुआ लेकिन कोई रेडियोधर्मी असर नहीं हुआ क्योंकि वहाँ कोई परमाणु सामग्री नहीं थी।
इजराइली सेना (IDF) ने कहा: “यह रिएक्टर केवल एक मकसद से बनाया जा रहा था – परमाणु बम बनाने के लिए। अब इसे निष्क्रिय कर दिया गया है।”
नतांज (Natanz) के पास भी हमला
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नतांज ईरान का एक प्रमुख यूरेनियम संवर्धन (enrichment) केंद्र है।
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इजराइल का दावा है कि यहां परमाणु हथियारों से जुड़ी “विशेष परियोजनाएं” और उपकरण थे।
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पहले भी 2021 में साइबर अटैक के जरिए यहां की संयंत्र प्रणाली को नुकसान पहुंचाया गया था।
इजराइल की मंशा क्या है?
इजराइली सेना के प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल एफ्फी डेफरिन ने कहा: “हमारा लक्ष्य है – इजराइल के अस्तित्व के ख़तरे को खत्म करना, ईरान के परमाणु कार्यक्रम को गहरी चोट पहुंचाना और उसके मिसाइल नेटवर्क को बर्बाद करना।”
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उन्होंने यह भी कहा कि आगे और भी हमले किए जा सकते हैं, क्योंकि अन्य निशाने भी चिह्नित कर लिए गए हैं।
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एक एंटी-टैंक मिसाइल फैक्ट्री को भी नष्ट किया गया है, जहां से हथियार हिजबुल्लाह(Hezbollah) को भेजे जाते थे।
ईरान की प्रतिक्रिया