बंटवारे के दौरान परिवार से बिछड़ी महिला 75 साल बाद भारत में रहने वाले अपने भाइयों से मिली

Edited By Updated: 18 May, 2022 06:33 PM

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इस्लामाबाद, 18 मई (भाषा) मुल्क के बंटवारे के वक्त परिवार से बिछड़ी एक बच्ची 75 साल बाद भारत में रहने वाले अपने भाइयों से पाकिस्तान के करतारपुर में फिर मिली। सिख परिवार में पैदा हुई मुमताज़ बीबी को एक मुस्लिम दंपति ने गोद ले लिया और पाला...

इस्लामाबाद, 18 मई (भाषा) मुल्क के बंटवारे के वक्त परिवार से बिछड़ी एक बच्ची 75 साल बाद भारत में रहने वाले अपने भाइयों से पाकिस्तान के करतारपुर में फिर मिली। सिख परिवार में पैदा हुई मुमताज़ बीबी को एक मुस्लिम दंपति ने गोद ले लिया और पाला पोसा था।

‘डॉन’ अखबार ने बुधवार को खबर दी है कि मुमताज बीबी बंटवारे के दौर में अपनी मां के शव के पास मुस्लिम दंपति को मिली थी। उनकी मां को भीड़ ने मार डाला था। 1947 में बंटवारे के दौरान देश के कई हिस्सों में भीषण हिंसा फैली हुई थी जिसमें बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई थी।

इसके बाद मोहम्मद इकबाल और अल्लाह रखी नाम के दंपति ने इस छोटी बच्ची को गोद ले लिया, अपनी बेटी की तरह उन्हें पाला पोसा और उनका नाम मुमताज़ बीबी रखा।

बंटवारे के बाद इकबाल पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के शेखपुरा जिले के वरिका तियां गांव में बस गए। इकबाल और उनकी पत्नी ने मुमताज बीबी को बताया नहीं था कि वह उनकी सगी बेटी नहीं हैं। दो साल पहले जब इकबाल की सेहत अचानक खराब हुई तो उन्होंने मुमताज को बताया कि वह उनकी सगी बेटी नहीं हैं और उनका ताल्लुक सिख परिवार से है। इकबाल के इंतकाल के बाद, बीबी और उनके बेटे शाहबाज़ ने उनके परिवार को सोशल मीडिया के जरिए तलाशना शुरू किया। वे मुमताज बीबी के असली पिता का नाम और गांव (सिदराणा) के बारे में जानते थे जो भारत में पंजाब के पटियाला जिले में है। मुमताज के पिता अपना पैतृक गांव छोड़ने के बाद सिदराणा में बस गए थे। खबर के मुताबिक, दोनों परिवारों का सोशल मीडिया के जरिए संपर्क हुआ। इसके बाद मुमताज बीबी के भाई गुरुमीत सिंह, नरेंद्र सिंह और अमरिंदर सिंह परिवार के अन्य सदस्यों के साथ करतारपुर में स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब पहुंचे। मुमताज बीबी भी अपने परिवार के साथ वहां पहुंचीं और 75 साल बाद अपने खोए हुए भाइयों से मिलीं।

करतारपुर गलियारा पाकिस्तान में गुरुद्वारा दरबार साहिब को भारत के पंजाब राज्य में स्थित डेरा बाबा नानक गुरुद्वारा से जोड़ता है। चार किलोमीटर लंबा गलियारा भारतीय सिख यात्रियों को बिना वीज़ा के दरबार साहिब जाने की इजाजत देता है।

यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

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