3 देशों ने ईरान को अमेरिका-इजराइल के खिलाफ खूब भड़काया, कहा-"हमलों का परमाणु हथियारों से दो जवाब"

Edited By Updated: 24 Jun, 2025 03:50 PM

russia china and pak say iran needs nuclear weapons

ईरान और इजराइल के बीच युद्धविराम से ठीक पहले   रूस, चीन और पाकिस्तान ने ईरान को खूब भड़काने का काम किया और  खुलकर समर्थन करते हुए कहा है कि  तेहरान को परमाणु हथियार रखने का

International Desk: ईरान और इजराइल के बीच युद्धविराम से ठीक पहले   रूस, चीन और पाकिस्तान  ने ईरान को खूब भड़काने का काम किया और  खुलकर समर्थन करते हुए कहा है कि  तेहरान को परमाणु हथियार रखने का अधिकार है ताकि वह अमेरिका और इजराइल की "सैन्य आक्रामकता" से अपना बचाव कर सके। अमेरिका द्वारा ईरानी परमाणु ठिकानों पर की गई बमबारी के बाद  रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने एक साक्षात्कार में कहा, “कुछ देशों को अब ईरान को अपनी सुरक्षा के लिए आवश्यक सभी विकल्पों पर विचार करना चाहिए, जिसमें परमाणु विकल्प भी शामिल हो सकता है।” हालांकि बाद में उन्होंने स्पष्ट किया कि रूस NPT (परमाणु अप्रसार संधि) का उल्लंघन नहीं करेगा।

 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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 चीन ने संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका और इजराइल के हमलों की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि यह वैश्विक स्थिरता और अंतरराष्ट्रीय कानून के खिलाफ है। चीन की मांग है कि क्षेत्र में तुरंत युद्धविराम लागू हो और कूटनीतिक वार्ता शुरू की जाए। पाकिस्तान ने BRICS के बंद सत्र में ईरान को “अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए उचित विकल्प चुनने” का समर्थन दिया। इस्लामाबाद ने कहा कि यदि क्षेत्र में परमाणु संतुलन जरूरी है, तो इसे केवल एक पक्ष के पास नहीं रहना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक में इन बयानों को लेकर तीखी बहस हुई। यूरोपीय देशों ने चिंता जताई कि इससे परमाणु हथियारों की दौड़ तेज हो सकती है।अमेरिका और इजराइल ने इन बयानों की निंदा करते हुए इसे “उकसाने वाला” और “गंभीर सुरक्षा खतरे को जन्म देने वाला” बताया।

 

क्यों उठी परमाणु हथियारों की मांग?
 2025 में ट्रंप प्रशासन द्वारा ईरान के फोर्दो, नतांज और इस्फहान स्थित परमाणु केंद्रों पर  बंकर बस्टर बमों  से हमला किया गया, जिससे तेहरान को भारी नुकसान हुआ। इस हमले के बाद ईरान ने चेतावनी दी थी कि अगर हमला दोबारा होता है, तो वह अमेरिका और उसके सहयोगियों के सैन्य ठिकानों को “वैध लक्ष्य” मानेगा। अब रूस, चीन और पाकिस्तान जैसे वैश्विक खिलाड़ी ईरान को “सुरक्षा के लिए परमाणु विकल्प” का समर्थन दे रहे हैं।रूस, चीन और पाकिस्तान के इस रुख से साफ है कि ईरान का परमाणु मुद्दा अब केवल एक देश की सीमा नहीं, बल्कि वैश्विक राजनीतिक ध्रुवीकरण का विषय बन चुका है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि अमेरिका और यूरोप इस पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं और क्या कूटनीति इस विस्फोटक परिस्थिति को संभाल पाएगी।
 

 

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