S-400 एयर डिफेंस सिस्टम को लेकर तुर्किए की नई चाल, क्या पाकिस्तान को मिलेगा रूस का खतरनाक हथियार?

Edited By Updated: 01 Jul, 2025 11:14 PM

turkey s new move regarding s 400 air defense

दुनिया के सैन्य और कूटनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं और इन बदलावों के केंद्र में अब भारत, पाकिस्तान, तुर्किए, रूस और अमेरिका जैसे देश शामिल हैं।

इंटरनेशनल डेस्कः दुनिया के सैन्य और कूटनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं और इन बदलावों के केंद्र में अब भारत, पाकिस्तान, तुर्किए, रूस और अमेरिका जैसे देश शामिल हैं। इसी क्रम में एक नई चिंता भारत की सुरक्षा नीति के सामने खड़ी हो रही है—क्या रूस का अत्याधुनिक S-400 एयर डिफेंस सिस्टम अब भारत के प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के हाथ लग सकता है?

 तुर्किए S-400 से पीछा छुड़ाने को तैयार

2017 में तुर्किए ने रूस से लगभग 2.5 अरब डॉलर में S-400 ट्रायम्फ एयर डिफेंस सिस्टम खरीदा था। यह डील अमेरिका और NATO को इतनी नागवार गुज़री कि अमेरिका ने तुर्किए को F-35 फाइटर जेट प्रोग्राम से बाहर कर दिया और उस पर CAATSA (Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act) के तहत प्रतिबंध लगा दिए।

अब तुर्किए अमेरिका से रिश्ते सुधारने के प्रयास में है। वह एक नया स्वदेशी मल्टी-लेयर एयर डिफेंस प्रोग्राम “Steel Dome” शुरू कर चुका है, जिसमें तुर्किए की रक्षा कंपनियाँ ASELSAN, ROKETSAN और MKE काम कर रही हैं। तुर्किए ने संकेत दिया है कि इसमें रूसी तकनीक को कोई स्थान नहीं मिलेगा, यानी S-400 अब ‘बोझ’ बन गया है।

पूर्व मंत्री का बयान: "बेच दो S-400, पाकिस्तान को!"

तुर्किए के पूर्व मंत्री कैविट कैगलर ने हाल ही में यह चौंकाने वाला बयान दिया कि देश को S-400 सिस्टम को बेचने पर विचार करना चाहिए और संभावित खरीदार भारत या पाकिस्तान हो सकते हैं। उन्होंने पाकिस्तान को प्राथमिकता दी  जिससे भारत में चिंता की लहर दौड़ गई।

हालांकि यह एक अटकल है कोई आधिकारिक प्रस्ताव या पुष्टि नहीं हुई है। फिर भी यह संकेत महत्वपूर्ण है कि तुर्किए अब S-400 से राजनीतिक और सामरिक रूप से दूरी बना रहा है।

क्या पाकिस्तान को S-400 मिल सकता है?

इस सवाल के जवाब के लिए कई बिंदुओं को समझना ज़रूरी है:

1. रूस की अनुमति अनिवार्य है

S-400 रूस का स्वामित्वयुक्त सिस्टम है। रूस के साथ हुए समझौते में यह स्पष्ट प्रावधान है कि बिना रूस की पूर्व अनुमति के S-400 को किसी तीसरे देश को बेचा या ट्रांसफर नहीं किया जा सकता। और रूस के लिए पाकिस्तान, जो भारत का प्रमुख विरोधी है, एक वांछनीय खरीदार नहीं हो सकता।

2. भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी

भारत और रूस के बीच दशकों पुराना रक्षा सहयोग है। भारत को पहले ही पांच S-400 स्क्वाड्रन की आपूर्ति हो चुकी है और संभावित रूप से भारत S-400 के अतिरिक्त बैच या S-500 की खरीद पर भी विचार कर रहा है। ऐसे में रूस पाकिस्तान को यह सिस्टम देकर अपने सबसे भरोसेमंद ग्राहक भारत को नाराज़ नहीं करेगा।

3. पाकिस्तान की आर्थिक हकीकत

एक S-400 स्क्वाड्रन की कीमत लगभग 500 मिलियन डॉलर (लगभग ₹4,200 करोड़) है। पाकिस्तान की मौजूदा आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वह इतनी भारी-भरकम डील कर सके। IMF कर्ज और डॉलर की किल्लत से जूझ रहे पाकिस्तान के लिए यह खरीद आर्थिक रूप से अव्यवहारिक है।

भारत के लिए क्या खतरा?

अगर किसी भी रूप में पाकिस्तान को S-400 जैसी तकनीक मिलती है, तो यह भारत के लिए सामरिक चुनौती बन सकता है। भारत की वायुसेना ने S-400 की तैनाती करके पाकिस्तान और चीन की हवाई घुसपैठ को रोकने में बड़ी कामयाबी पाई है। यही सिस्टम अब यदि पाकिस्तान के पास चला जाता है, तो भारत को अपनी रणनीति नए सिरे से गढ़नी होगी।

क्या भारत खरीदेगा तुर्किए का S-400?

हालांकि कैविट कैगलर ने भारत का नाम भी संभावित खरीदार के रूप में लिया, लेकिन भारत पहले ही रूस से यह सिस्टम मंगा चुका है और रूस से ही भविष्य में और यूनिट लेने की संभावना अधिक है। यदि तुर्किए अपने निष्क्रिय पड़े S-400 को बेचना चाहता है, तो भारत एक व्यवहारिक विकल्प हो सकता है—बशर्ते रूस अनुमति दे।

वर्तमान स्थिति

  • तुर्किए के पास दो S-400 यूनिट्स हैं, जिन्हें आज तक सक्रिय नहीं किया गया है।

  • इन यूनिट्स को किसी गुप्त स्थान पर स्टोर किया गया है।

  • तुर्किए अमेरिका और NATO के दबाव में इन्हें सक्रिय नहीं करना चाहता।

  • तुर्किए अब रक्षा आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है और रूस से दूरी बना रहा है।

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