बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के अधिकारों के लिए चिन्मय दास का संघर्ष, मंदिरों की संपत्ति और दुर्गा पूजा पर 5 दिन छुट्टी की मांग

Edited By Mahima,Updated: 27 Nov, 2024 03:45 PM

chinmay das s struggle for the rights of hindu community in bangladesh

बांग्लादेश में हिंदू धर्मगुरु चिन्मय कृष्णा दास की गिरफ्तारी के बाद सांप्रदायिक तनाव बढ़ गया है। उन पर देशद्रोह का आरोप है, लेकिन उनके समर्थक इसे गलत मानते हैं। चिन्मय दास ने अल्पसंख्यकों के अधिकारों और सुरक्षा के लिए कई मांगें उठाईं, जिनमें मंदिरों...

नेशनल डेस्क: बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ बढ़ते उत्पीड़न और हिंसा के मामलों ने एक नया मोड़ लिया है। खासकर, जब से शेख हसीना की सरकार ने सत्ता में वापसी की है, तब से अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदुओं, पर हमले और अत्याचार बढ़ गए हैं। हाल ही में, हिंदू धर्मगुरु चिन्मय कृष्णा दास की गिरफ्तारी ने इस मुद्दे को और भी गर्म कर दिया है। 25 नवंबर को गिरफ्तार किए गए चिन्मय दास को 27 नवंबर को चटगांव की अदालत ने जमानत देने से इनकार कर दिया और उन्हें जेल भेज दिया। चिन्मय दास की गिरफ्तारी के बाद बांग्लादेश में सांप्रदायिक तनाव में और वृद्धि हुई है। खासतौर पर चटगांव और अन्य हिंदू बहुल इलाकों में कट्टरपंथी तत्वों द्वारा मंदिरों और हिंदू मोहल्लों पर हमले किए जा रहे हैं। चिन्मय दास की गिरफ्तारी से पहले ही बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा की घटनाएं बढ़ चुकी थीं, जिसमें कई मंदिरों को तोड़ा और अपवित्र किया गया था।

चिन्मय दास की गिरफ्तारी और आरोप
चिन्मय दास, जो इस्कॉन से जुड़े हुए थे और सम्मिलित सनातन जागरण जोत के प्रवक्ता भी थे, पर बांग्लादेशी झंडे का अपमान करने का आरोप लगाया गया है। यह आरोप एक अक्टूबर के विरोध प्रदर्शन से जुड़ा हुआ है, जब दावा किया गया कि भगवा ध्वज को बांग्लादेशी झंडे से ज्यादा ऊंचा फहराया गया था। हालांकि, इस आरोप का न तो कोई ठोस प्रमाण है और न ही चिन्मय दास की ओर से इसे स्वीकार किया गया है। इसके बावजूद, बांग्लादेशी पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और देशद्रोह के आरोप में मुकदमा दायर किया।

चिन्मय दास की प्रमुख मांगें  
चिन्मय दास और उनके समर्थक बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के अधिकारों और सुरक्षा के लिए कई महत्वपूर्ण मांगें उठा रहे थे। इनमें प्रमुख मांगें थीं:

1. स्पेशल ट्रिब्यूनल की स्थापना: अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न से जुड़े मामलों में तुरंत सुनवाई के लिए एक विशेष अदालत बनाई जाए और पीड़ितों को मुआवजा और पुनर्वास मिले।
2. अल्पसंख्यक सुरक्षा कानून: अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए एक विशेष कानून बनाना चाहिए।
3. अल्पसंख्यक मंत्रालय की स्थापना: बांग्लादेश में एक अलग मंत्रालय बनाया जाए, जो केवल अल्पसंख्यक समुदाय के मुद्दों को उठाए और उनका समाधान ढूंढे।
4. मंदिरों की संपत्ति की वापसी: कब्जाई गई मंदिरों की संपत्तियों को उनके वास्तविक मालिकों को वापस किया जाए, और मंदिरों की सुरक्षा के लिए कानून बने।
5. पूजा स्थलों की सुरक्षा: स्कूलों, कॉलेजों और हॉस्टलों में अल्पसंख्यकों के लिए पूजा स्थलों की व्यवस्था की जाए, ताकि वे अपनी धार्मिक क्रियाएं स्वतंत्र रूप से कर सकें।
6. शैक्षिक सुधार: अल्पसंख्यक समुदाय के शैक्षिक संस्थानों को बढ़ावा दिया जाए और साथ ही संस्कृत और पाली बोर्डों का आधुनिकीकरण किया जाए।
7. दुर्गा पूजा पर सार्वजनिक छुट्टी: हिंदू समुदाय के महत्वपूर्ण त्योहार दुर्गा पूजा के दौरान पांच दिन की सार्वजनिक छुट्टी का ऐलान किया जाए।

बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति
बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ भेदभाव और हिंसा की घटनाएं नई नहीं हैं। यहां के अल्पसंख्यक समुदायों के लिए एक लंबा इतिहास है, जिसमें उनके साथ धार्मिक और सांप्रदायिक भेदभाव किया गया है। 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम के बाद से अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं में वृद्धि हुई है। पिछले कुछ सालों में, बांग्लादेश में हिंदू विरोधी भावनाएं और हमले बढ़े हैं, जिनमें कई मंदिरों पर हमले और हिंदू नागरिकों की हत्या शामिल है। 2013 में, हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन (HAF) ने दावा किया था कि 1964 से 2013 तक लगभग एक करोड़ हिंदू बांग्लादेश छोड़ चुके हैं। हर साल लगभग 2.3 लाख हिंदू बांग्लादेश से पलायन कर रहे हैं, जो कि इस देश में बढ़ते धार्मिक उत्पीड़न का संकेत है। 1951 में बांग्लादेश में गैर-मुस्लिमों की आबादी 23.2% थी, लेकिन 2011 की जनगणना के अनुसार, यह घटकर 9.4% रह गई है।

भारत की चिंता
भारत ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा और चिन्मय दास की गिरफ्तारी पर गंभीर चिंता जताई है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश सरकार से अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और हिंसा में शामिल अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की अपील की है। बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के अधिकारों के लिए चिन्मय दास द्वारा उठाए गए सवाल और उनकी गिरफ्तारी ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि अल्पसंख्यकों के खिलाफ उत्पीड़न और हिंसा का सिलसिला अभी भी जारी है। चिन्मय दास की मांगों को लेकर बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, और अब देखना यह होगा कि बांग्लादेश सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है और अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा को लेकर क्या सुधार किए जाते हैं।

Related Story

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!