Edited By Mansa Devi,Updated: 19 Jun, 2025 12:37 PM

अगर आपका घर या संपत्ति एयरपोर्ट के आसपास है, तो अब आपको सतर्क हो जाना चाहिए। नया कानून लागू हो चुका है और किसी भी वक्त आपको नोटिस मिल सकता है। ऐसे में अपनी संपत्ति के दस्तावेज तैयार रखें और जरूरत हो तो समय पर कानूनी सलाह जरूर लें।
नेशनल डेस्क: अहमदाबाद में हाल ही में हुए एयर इंडिया विमान हादसे के बाद नागरिक विमानन मंत्रालय ने बड़ा कदम उठाया है। मंत्रालय ने भारतीय वायुयान अधिनियम 2024 में संशोधन करते हुए नया नियम लागू किया है, जिसे एयरक्राफ्ट रूल 2025 का नाम दिया गया है। इस बदलाव के अनुसार, देशभर के एयरपोर्ट के पास स्थित ऊंचे मकान या पेड़, जो उड़ान सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं, अब हटाए जा सकेंगे।
नोटिफिकेशन हुआ जारी, सभी राज्यों को भेजे गए निर्देश
नागरिक विमानन मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना सभी राज्य सरकारों, जिला कलेक्टरों और हवाईअड्डा प्रबंधकों को भेजी गई है। इसमें स्पष्ट किया गया है कि एयरोड्रोम (एयरपोर्ट से सटी वह सीमा जहां सुरक्षा जरूरी होती है) क्षेत्र में आने वाले किसी भी निर्माण को पहले नोटिस देकर हटाया जा सकेगा।
60 दिन में खुद हटाना होगा निर्माण
एयरपोर्ट अधिकारी पहले संबंधित मकान या पेड़ के मालिक को 60 दिन का नोटिस देंगे। यदि उस अवधि में मालिक स्वयं निर्माण को नहीं हटाता है, तो नियमों के तहत बिल्डिंग को छोटा किया जा सकता है या पेड़ काटा जा सकता है। डीजीसीए (नागर विमानन महानिदेशालय) जरूरत पड़ने पर इस अवधि को 60 दिन और बढ़ा सकता है।
ऑन-साइट निरीक्षण और डीजीसीए को रिपोर्ट
हवाईअड्डे के प्रभारी अधिकारी स्वयं मौके पर जाकर निरीक्षण करेंगे, और फिर डीजीसीए को लिखित रिपोर्ट सौंपेंगे। इसी के आधार पर नोटिस जारी किया जाएगा और आगे की प्रक्रिया अपनाई जाएगी।
विरोध की भी व्यवस्था, अपील कर सकेंगे नागरिक
यदि किसी मकान मालिक को इस नोटिस से आपत्ति है, तो वह प्रथम या द्वितीय अपीलीय अधिकारी के पास अपील कर सकता है। इसके लिए उसे 1000 रुपये शुल्क और समर्थन में दस्तावेज जमा करने होंगे। यदि अपील सफल नहीं होती, तो निर्माण को कानूनी रूप से हटाया जा सकता है।
नियम का मकसद: हवाई सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता
इस नए नियम का उद्देश्य हवाई यात्रियों की सुरक्षा को और मजबूत बनाना है। एयरपोर्ट के नजदीक किसी भी प्रकार का ऊंचा निर्माण उड़ान मार्ग में बाधा बन सकता है, जिससे दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहती है। मंत्रालय ने यह कदम इसी जोखिम को कम करने के लिए उठाया है।