ये विभाग आपकी हर सोशल मीडिया एक्टिविटी पर रखेगा नजर, अप्रैल 2026 से लागू होगा ये बड़ा नियम

Edited By Updated: 23 Dec, 2025 05:07 PM

income tax department to monitor your every digital activity from april 2026

1 अप्रैल 2026 से इनकम टैक्स विभाग को नागरिकों की डिजिटल गतिविधियों तक पहुंच का अधिकार मिलेगा। अब सिर्फ कैश, प्रॉपर्टी और गहनों तक सीमित जांच नहीं होगी, बल्कि ईमेल, क्लाउड स्टोरेज, डिजिटल वॉलेट, सोशल मीडिया और ऑनलाइन ट्रेडिंग अकाउंट भी टैक्स जांच के...

नेशनल डेस्क : 1 अप्रैल 2026 से भारत में इनकम टैक्स नियमों में एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है। नए नियमों के तहत इनकम टैक्स अधिकारियों को सिर्फ भौतिक संपत्तियों तक सीमित रहने की बजाय नागरिकों की डिजिटल गतिविधियों तक पहुंच बनाने का अधिकार मिलेगा। यह पहली बार होगा जब टैक्स अधिकारी औपचारिक रूप से डिजिटल दुनिया में भी जांच कर सकेंगे। दरअसल, यह बदलाव टैक्स चोरी रोकने और वित्तीय नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा है।

अब सिर्फ कैश और ज्वेलरी नहीं, डिजिटल स्पेस भी रडार पर

पहले इनकम टैक्स अधिकारियों को छापेमारी के दौरान घर, प्रॉपर्टी, नकदी, दस्तावेज और गहनों जैसी भौतिक चीजों की जांच की अनुमति थी। यह अधिकार इनकम टैक्स एक्ट, 1961 की धारा 132 के तहत आता था। लेकिन नए प्रस्तावित नियमों के तहत अब अधिकारियों को वर्चुअल डिजिटल स्पेस तक पहुंच का अधिकार मिलेगा।

इस डिजिटल स्पेस में शामिल होंगे: ईमेल अकाउंट, क्लाउड स्टोरेज , डिजिटल वॉलेट ट्रेडिंग और इन्वेस्टमेंट प्लेटफॉर्म, सोशल मीडिया प्रोफाइल और चैट्स, अन्य ऑनलाइन अकाउंट।  यानि Gmail, WhatsApp, Facebook और अन्य ऑनलाइन प्लेटफॉर्म भी टैक्स जांच के दायरे में आ सकते हैं।

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सरकार ऐसा बदलाव क्यों कर रही है?

सरकार का कहना है कि आज के समय में ज्यादातर वित्तीय लेनदेन ऑनलाइन हो चुके हैं।

  • बैंकिंग और निवेश
  • स्टॉक ट्रेडिंग
  • क्रिप्टो एसेट्स
  • ऑनलाइन खरीदारी

इन सभी लेनदेन को फिजिकल जांच के जरिए पकड़ना अब प्रभावी नहीं रहा। इनकम टैक्स अधिकारियों का मानना है कि किसी व्यक्ति की पूरी वित्तीय गतिविधि डिजिटल फुटप्रिंट में छिपी होती है। डिजिटल डेटा तक पहुंच मिलने से टैक्स चोरी के मामलों को ज्यादा सटीक तरीके से पकड़ा जा सकेगा।

क्या हर किसी का डेटा कभी भी चेक किया जा सकता है?

सबसे बड़ा सवाल है प्राइवेसी का। सरकार ने स्पष्ट किया है कि टैक्स अधिकारी मनमाने तरीके से किसी का डिजिटल डेटा एक्सेस नहीं कर सकेंगे। जैसे पहले छापेमारी के लिए 'reason to believe' जरूरी होता था, वैसी ही शर्त अब डिजिटल अकाउंट्स पर भी लागू रहेगी।

मतलब: जब तक किसी व्यक्ति के खिलाफ आय या वित्तीय लेनदेन में गड़बड़ी का ठोस आधार नहीं होगा, तब तक ईमेल, सोशल मीडिया या अन्य डिजिटल अकाउंट्स को एक्सेस नहीं किया जा सकेगा।

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टैक्सपेयर्स के लिए इसका क्या मतलब है?

  • टैक्स से जुड़ी पारदर्शिता बढ़ेगी।
  • लोगों को अपनी डिजिटल गतिविधियों में सावधानी बरतनी होगी।
  • अगर आपकी इनकम और लेनदेन साफ-सुथरे और सही तरीके से घोषित हैं, तो घबराने की जरूरत नहीं।

 


 

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