दिल्ली में ईडी ने 37 ठिकानों पर मारे ताबड़तोड़ छापे, मचा हड़कंप, जानिए क्या है पूरा मामला

Edited By Rahul Rana,Updated: 18 Jun, 2025 03:31 PM

ed conducts raids 37 locations in delhi

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने आज दिल्ली में 37 स्थानों पर छापे मारे, जिससे राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। यह कार्रवाई दिल्ली सरकार के स्कूलों में क्लासरूम निर्माण से जुड़े कथित घोटाले की मनी लॉन्ड्रिंग जांच के तहत की गई है।

नई दिल्ली : प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने आज दिल्ली में 37 स्थानों पर छापे मारे, जिससे राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। यह कार्रवाई दिल्ली सरकार के स्कूलों में क्लासरूम निर्माण से जुड़े कथित घोटाले की मनी लॉन्ड्रिंग जांच के तहत की गई है। सूत्रों के मुताबिक, यह मामला आम आदमी पार्टी (AAP) की पूर्व सरकार के कार्यकाल से जुड़ा है।

पीएमएलए के तहत दर्ज हुआ मामला

ED ने यह कार्रवाई दिल्ली भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) की ओर से दर्ज प्राथमिकी के आधार पर की। मनी लॉन्ड्रिंग की जांच प्रवर्तन निदेशालय द्वारा धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत की जा रही है। छापेमारी के दौरान अधिकारी विभिन्न निजी संस्थानों और ठेकेदारों के परिसरों की तलाशी ले रहे हैं। हालांकि अभी यह साफ नहीं है कि इसमें किसी नेता के आवास या दफ्तर पर भी छापा मारा गया है या नहीं।

AAP नेताओं के नाम FIR में दर्ज

ED द्वारा दर्ज प्राथमिकी में आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री मनीष सिसोदिया तथा सत्येंद्र जैन के नाम शामिल हैं। आरोप है कि दिल्ली सरकार द्वारा स्कूलों में 12,000 से अधिक कक्षाओं के निर्माण में करीब 2,000 करोड़ रुपये की भारी वित्तीय गड़बड़ी की गई।

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क्या है क्लासरूम घोटाला?

यह घोटाला दिल्ली के सरकारी स्कूलों में कक्षाओं के निर्माण कार्य से जुड़ा हुआ है, जिसमें ठेके की प्रक्रिया, लागत में अनियमितताएं और निर्माण में घोटाले के आरोप लगे हैं। यह सारा मामला आम आदमी पार्टी सरकार के शासनकाल से संबंधित बताया जा रहा है।

आरोप

आरोपों के मुताबिक 12,748 क्लासरूम के निर्माण में करीब 2000 करोड़ की वित्तीय अनियमितताएं पाई गईं।

हर क्लास के निर्माण की लागत 24.86 लाख रु. बताई गई जबकि आरोप है कि आम तौर पर ऐसे निर्माण की लागत 5 लाख रुपये के आसपास होती है

सरकारी नियमों के उल्लंघन का आरोप, उचित टेंडर प्रक्रिया का पालन किए बिना ही ठेके AAP से जुड़े ठेकेदारों को दिए गए। 

कई क्लास रूम का निर्माण निर्धारित समय सीमा में नहीं हुआ और  निर्माण की गुणवत्ता पर भी सवाल उठाए गए।

 सीमेंट (RCC) से बनने वाले क्लासरूम की लागत पर सेमी-पक्के स्ट्रक्चर बनाए गए, जिनकी उम्र बहुत कम होती है।

तत्कालीन मंत्री मनीष सिसोदिया (शिक्षा मंत्री) और सत्येंद्र जैन (लोक निर्माण विभाग मंत्री) ने अपने पद का दुरुपयोग किया

मनमाने तरीके से क्लासरूम की लागत और आकार बढ़ाकर इसका फायदा उठाया, सरकारी नियमों का पालन नहीं किया

जांच एजेंसियां इस मामले में ठेकेदारों, निजी फर्मों, इंजीनियरों और अधिकारियों से पूछताछ कर रही हैं।

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