मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल में दिखा सैनिकों का जोश, 1947-48 के युद्ध पर डाला प्रकाश

Edited By Radhika,Updated: 04 Dec, 2023 12:45 PM

enthusiasm of soldiers shown in military literature festival

बीते दिनों चंडीगढ़ लेक क्लब में दो दिवसीय मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवलआयोजित किया गया था। इस फेस्टिवल का थीम ‘वर्ल्ड इन टरमॉयल’ पर बेस्ड था।

नेशनल डेस्क: बीते दिनों चंडीगढ़ लेक क्लब में दो दिवसीय मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल आयोजित किया गया था। इस फेस्टिवल का थीम ‘वर्ल्ड इन टरमॉयल’ पर बेस्ड था। इसमें भारतीय मिल्ट्री में बातचीत को लेकर कई सारे एक्सपर्ट शामिल हुए।

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इस फेस्टिवल में 10 कोर के पूर्व जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल एनएस बराड़ ने 1947-48 के युद्ध के एक महत्वपूर्ण अध्याय पर प्रकाश डाला। इसमें उन्होने ज़ोजी ला पर कब्जे के रणनीतिक महत्व पर जोर दिया गया। ज़ोजी ला को सुरक्षित करने की यात्रा आसान नहीं थी।

वहीं भारतीय वायु सेना के जनरल बराड़ ने इस ऑपरेशन में शानदार योगदन के लिए रेखांकित किया। इस समय कई सारी समस्याओं का सामना करना पड़ा। इतिहासकार और लेखक, कर्नल अजय सिंह और सगत शौनिक ने सत्र के दौरान संचालन के स्ट्रैटिजिक डिटेल्स पर प्रकाश डाला। उन्होंने युद्ध के मैदान में बहादुरी दिखाने वाले अधिकारियों और जवानों के अनुकरणीय नेतृत्व और प्रदर्शन पर ध्यान केंद्रित किया।

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ज़ोजी ला, कश्मीर घाटी के शंकुधारी पहाड़ों के अंत का प्रतीक है, जहां पर 1948 के युद्ध विराम लागू होने से ठीक एक दिन पहले कब्जा कर लिया गया था। भारत को समय पर मिली इस जीत के कारण यह हिस्सा पाकिस्तान के हाथों में जाने से बच गया।

 

 

 

 

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