30,000 EV ऑर्डर निकले फर्जी! फैक्ट्री पहुंचते ही चौंक गया अधिकारी, सिर्फ 2 मजदूर मिले अंदर

Edited By Updated: 20 Apr, 2025 10:09 PM

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पुणे के चाकन स्थित जेनसोल इंजीनियरिंग के इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) प्लांट का हाल देखकर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के एक अधिकारी हैरान रह गए।

नेशनल डेस्क: देश की एक बड़ी ईवी (इलेक्ट्रिक व्हीकल) कंपनी Gensol Engineering और BluSmart पर अब तक का सबसे बड़ा शक गहराता जा रहा है। कंपनी ने दावा किया था कि उसे 30,000 इलेक्ट्रिक गाड़ियों का ऑर्डर मिला है, लेकिन जब SEBI और NSE की टीम ने फैक्ट्री का अचानक दौरा किया तो जो नज़ारा वहां दिखा उसने सबको हैरान कर दिया। जिस फैक्ट्री में हजारों गाड़ियों का प्रोडक्शन होना चाहिए था, वहां ना तो मशीनें चल रही थीं ना कोई हलचल थी। सिर्फ 2-3 मजदूर मौजूद थे और बिजली का खर्च भी बेहद कम था। आखिर क्या है इस पूरे मामले की सच्चाई? क्या निवेशकों को दिखाया गया सपना एक बड़ा झूठ था?

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जून 2024 में हुई थी शिकायत

यह मामला तब सामने आया जब जून 2024 में जेनसोल के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई गई थी। शिकायत में आरोप था कि कंपनी ने अपने शेयर मूल्य में हेरफेर किया और निवेशकों के पैसे का गलत इस्तेमाल किया। इसके बाद सेबी ने जांच शुरू की और 15 अप्रैल 2025 को अंतरिम आदेश जारी किया।

बिजली बिल से हुआ बड़ा खुलासा

एनएसई अधिकारी ने जब कंपनी से बिजली खपत से जुड़े बिल मांगे तो एक और चौंकाने वाली बात सामने आई। पिछले 12 महीनों में दिसंबर 2024 में कंपनी का सबसे ज्यादा बिजली बिल केवल 1,57,037 रुपये आया था। इस आधार पर सेबी ने साफ कहा कि इस प्लांट में किसी भी तरह की मैन्युफैक्चरिंग गतिविधि नहीं हो रही है।

30,000 ईवी ऑर्डर का दावा भी निकला झूठा

जेनसोल ने जनवरी 2025 में दावा किया था कि उन्हें इंडिया मोबिलिटी ग्लोबल एक्सपो-2025 में दिखाए गए मॉडल्स के लिए 30,000 इलेक्ट्रिक वाहनों का ऑर्डर मिला है। लेकिन जब सेबी ने दस्तावेजों की जांच की तो पाया कि यह केवल 29,000 कारों के लिए 9 संस्थाओं के साथ हुए MoU थे। इन MoU में ना तो कार की कीमत बताई गई थी और ना ही डिलीवरी की कोई निश्चित तारीख।

सेबी ने कहा—निवेशकों को गुमराह किया गया

सेबी ने अपने आदेश में कहा कि जेनसोल इंजीनियरिंग के प्रमोटर अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी ने निवेशकों को गुमराह करने वाला व्यवहार किया। कंपनी ने न सिर्फ फर्जी ऑर्डर का प्रचार किया बल्कि एक निष्क्रिय फैक्ट्री को मैन्युफैक्चरिंग यूनिट बताकर झूठी जानकारी शेयर बाजार को दी।

 

 

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