अब सास भी कहेगी– बस बहुत हुआ! बहू के खिलाफ भी उठ सकेगी आवाज, Court ने दी इजाजत

Edited By Updated: 18 Apr, 2025 02:18 PM

high court s decision mother in law can also file a domestic violence case

सास-बहू का रिश्ता वैसे तो नोकझोंक और खट्टी-मीठी तकरार के लिए मशहूर है लेकिन कई बार यह रिश्ता कानूनी लड़ाई तक पहुंच जाता है। आमतौर पर घरेलू हिंसा के मामलों में बहुओं की शिकायतें सामने आती हैं लेकिन अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए...

नेशनल डेस्क। सास-बहू का रिश्ता वैसे तो नोकझोंक और खट्टी-मीठी तकरार के लिए मशहूर है लेकिन कई बार यह रिश्ता कानूनी लड़ाई तक पहुंच जाता है। आमतौर पर घरेलू हिंसा के मामलों में बहुओं की शिकायतें सामने आती हैं लेकिन अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए यह साफ कर दिया है कि सिर्फ बहुएं ही नहीं सास भी घरेलू हिंसा के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा सकती हैं।

क्या कहा कोर्ट ने?

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कहा कि घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 सिर्फ बहुओं की सुरक्षा तक सीमित नहीं है बल्कि सास सहित हर उस महिला को इसका अधिकार है जो घरेलू रिश्ते में रहते हुए उत्पीड़न का शिकार हो। कोर्ट ने इस फैसले के जरिए लंबे समय से उठते सवालों पर विराम लगा दिया — क्या सास भी घरेलू हिंसा कानून के तहत शिकायत दर्ज कर सकती है?

क्या था मामला?

यह केस स्मृति गरिमा बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के नाम से हाईकोर्ट में पहुंचा था। इसमें बहू और उसके परिवार ने निचली अदालत द्वारा जारी किए गए समन को चुनौती दी थी। दरअसल एक सास ने अपनी बहू के खिलाफ घरेलू हिंसा की शिकायत दर्ज करवाई थी। सास का आरोप था कि बहू अपने पति यानी सास के बेटे पर दबाव बना रही थी कि वह अपने माता-पिता को छोड़ दे और मायके में आकर रहे।

 

यह भी पढ़ें: मैं Plane Crash में मरना चाहता हूं, मेरी बॉडी किसी को न मिले, इस बॉलीवुड एक्टर ने जताई आखिरी इच्छा

 

सास ने यह भी कहा कि बहू ससुराल में बदतमीजी करती थी और झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी देती थी। दूसरी तरफ बहू की ओर से दलील दी गई कि यह मामला बदले की भावना से किया गया है क्योंकि बहू पहले से ही दहेज और घरेलू हिंसा का केस दर्ज करवा चुकी है।

कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया?

न्यायमूर्ति आलोक माथुर ने स्पष्ट किया कि सास की शिकायत घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा 12 के तहत आती है और धारा 2(f), 2(s) के अनुसार संयुक्त परिवार में रहने वाली कोई भी महिला अगर उत्पीड़न का शिकार होती है तो उसे पीड़िता माना जाएगा। कोर्ट ने निचली अदालत द्वारा जारी समन को सही और वैध ठहराया।

 

यह भी पढ़ें: आधी रात को प्रेमिका से मिलने पहुंचा प्रेमी, घरवालों ने नंगा करके पीटा और फिर प्राइवेट पार्ट में...

 

क्यों है यह फैसला अहम?

यह फैसला उन मामलों में अहम उदाहरण बनेगा जहां सासें बहुओं द्वारा प्रताड़ित किए जाने की शिकायत करती हैं। अब उन्हें भी यह अधिकार मिल गया है कि वे घरेलू हिंसा कानून का सहारा ले सकें। इससे घरेलू हिंसा कानून को एक संतुलित दृष्टिकोण मिलेगा और यह केवल बहुओं की सुरक्षा तक सीमित नहीं रहेगा।

अब अगर सास को लगे कि उसे बहू की ओर से मानसिक, शारीरिक या भावनात्मक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है तो वह भी घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत न्याय के लिए अदालत का दरवाजा खटखटा सकती है।

Related Story

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!