Edited By Rohini Oberoi,Updated: 05 Nov, 2025 12:57 PM

ऑनलाइन जानकारी की दुनिया को पारदर्शिता और प्रमाणिकता देने के लिए चीन की सरकार ने एक बड़ा और सख्त कानून लागू किया है। अब चीन में कोई भी सोशल मीडिया क्रिएटर या इन्फ्लुएंसर अगर वित्त (Finance), स्वास्थ्य (Health), शिक्षा (Education) या कानून (Law) जैसे...
नेशनल डेस्क। ऑनलाइन जानकारी की दुनिया को पारदर्शिता और प्रमाणिकता देने के लिए चीन की सरकार ने एक बड़ा और सख्त कानून लागू किया है। अब चीन में कोई भी सोशल मीडिया क्रिएटर या इन्फ्लुएंसर अगर वित्त (Finance), स्वास्थ्य (Health), शिक्षा (Education) या कानून (Law) जैसे संवेदनशील विषयों पर सामग्री (Content) बनाता है तो उसे उस क्षेत्र में अपनी मान्यता प्राप्त डिग्री या योग्यता का सबूत देना अनिवार्य होगा। यह नया नियम 25 अक्टूबर से लागू हो चुका है जिसका मुख्य उद्देश्य ऑनलाइन फैलने वाली गलत और भ्रामक जानकारियों पर लगाम लगाना है।
विशेषज्ञता साबित किए बिना बात नहीं
चीन के साइबरस्पेस एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ चाइना (CAC) द्वारा बनाए गए इस कानून के तहत किसी भी सोशल मीडिया क्रिएटर को इन गंभीर विषयों पर चर्चा करने से पहले अपनी आधिकारिक योग्यता दिखानी होगी। इसका सीधा मतलब है कि अब बिना किसी डिग्री या लाइसेंस वाले इन्फ्लुएंसर इन महत्वपूर्ण विषयों पर अपने विचार खुलकर व्यक्त नहीं कर पाएंगे। सीएसी (CAC) का कहना है कि यह कदम आम जनता को झूठी सलाह और अफवाहों से बचाने के लिए उठाया गया है।
प्लेटफॉर्म्स और AI पर भी शिकंजा
यह नया नियम केवल इन्फ्लुएंसरों तक ही सीमित नहीं है बल्कि Douyin (चीनी TikTok), Weibo और Bilibili जैसे बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी लागू होगा। इन कंपनियों को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके प्लेटफॉर्म पर कंटेंट बनाने वाले क्रिएटर्स के पास संबंधित क्षेत्र में उचित सर्टिफिकेट या ट्रेनिंग मौजूद हो। साथ ही उन्हें यह भी ध्यान रखना होगा कि वीडियो या पोस्ट में दी गई जानकारी के स्रोत (Source) और संदर्भ (Context) पूरी तरह से स्पष्ट हों। नए कानून के अनुसार यदि कोई इन्फ्लुएंसर अपने कंटेंट में AI-जनरेटेड सामग्री या किसी रिसर्च स्टडी का उपयोग करता है तो उसे वीडियो या पोस्ट में यह स्पष्ट रूप से बताना होगा। सीएसी ने मेडिकल प्रोडक्ट्स, हेल्थ फूड्स और सप्लीमेंट्स से जुड़े विज्ञापनों पर भी प्रतिबंध लगाया है, ताकि शैक्षणिक कंटेंट के नाम पर छिपे हुए प्रमोशनों को रोका जा सके।
जनमानस की मिली-जुली प्रतिक्रिया
इस कानून को लेकर सोशल मीडिया पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएँ देखने को मिल रही हैं। कुछ यूज़र्स ने इसे समय की मांग बताया है उनका कहना है कि अब प्लेटफॉर्म पर केवल जानकार और योग्य लोग ही गंभीर मुद्दों पर राय देंगे। एक यूज़र ने Weibo पर लिखा कि "अब असली विशेषज्ञों को ही जनता को जानकारी देनी चाहिए।" वहीं कई आलोचकों का मानना है कि यह कानून स्वतंत्र अभिव्यक्ति की आज़ादी (Freedom of Expression) पर हमला है। बीजिंग के एक कंटेंट क्रिएटर ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि "राय देने के लिए भी लाइसेंस लेना पड़ेगा।" आलोचकों का तर्क है कि इससे सरकार को यह तय करने का बहुत ज़्यादा अधिकार मिल जाएगा कि कौन विशेषज्ञ है और कौन नहीं। इस कदम का उद्देश्य ऑनलाइन दुनिया में जवाबदेही (Accountability) को बढ़ाना है।