Edited By Anu Malhotra,Updated: 18 Jun, 2025 08:30 AM

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ एक बार फिर वैश्विक मंच पर हंसी का कारण बन गए हैं—और इस बार वजह कोई राजनीतिक फैसला नहीं, बल्कि एक भयंकर टाइपो है। ईरान और इजरायल के बीच भड़की जंग पर प्रतिक्रिया देते हुए शहबाज शरीफ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’...
नेशनल डेस्क: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ एक बार फिर वैश्विक मंच पर हंसी का कारण बन गए हैं—और इस बार वजह कोई राजनीतिक फैसला नहीं, बल्कि एक भयंकर टाइपो है। ईरान और इजरायल के बीच भड़की जंग पर प्रतिक्रिया देते हुए शहबाज शरीफ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक गंभीर पोस्ट शेयर किया। लेकिन इस संवेदनशील वक्त में उनकी एक चूक ने पूरी बात को हास्यास्पद बना दिया।
क्या लिखा शहबाज शरीफ ने?
दरअसल, शरीफ ने अंग्रेजी में "condemn" (निंदा करना) लिखने की कोशिश की, लेकिन गलती से उन्होंने "condom" लिख दिया। उन्होंने लिखा: “I strongly condom the unprovoked Israeli attack on Iran...” बस, फिर क्या था—उनका यह पोस्ट पल भर में वायरल हो गया और दुनिया भर में मीम्स और ट्रोल्स की बाढ़ आ गई।
क्या यह महज एक टाइपो था?
हालांकि इस पोस्ट को शहबाज शरीफ की टीम ने कुछ ही देर में डिलीट कर दिया, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। स्क्रीनशॉट्स वायरल हो चुके थे और सोशल मीडिया यूजर्स ने इसे पाकिस्तान की शिक्षा व्यवस्था पर तंज कसते हुए निशाना बना लिया। इस पोस्ट पर संदेह भी जताया गया कि कहीं यह फोटोशॉप या एडिट तो नहीं, लेकिन ‘X’ के एआई फीचर ‘Grok’ ने पुष्टि की कि यह पोस्ट 13 जून को वास्तव में किया गया था और बाद में हटा लिया गया।
पाकिस्तान की शिक्षा व्यवस्था पर फिर उठे सवाल
शहबाज शरीफ की यह चूक कोई पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान के नेताओं ने अंग्रेजी या ज्ञान की कमी से अपनी फजीहत करवाई हो। इस मौके पर एक बार फिर पाकिस्तान की शिक्षा व्यवस्था की गंभीर स्थिति पर बहस छिड़ गई है।
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UNICEF की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान में 5 से 16 साल के करीब 2.28 करोड़ बच्चे स्कूल नहीं जाते, जो दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है।
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यह देश की कुल स्कूली उम्र की जनसंख्या का करीब 44% है।
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UNESCO-GEM रिपोर्ट बताती है कि पाकिस्तान में लड़कियों की शिक्षा को लेकर सबसे धीमी प्रगति हो रही है और देश दक्षिण-पश्चिम एशिया में सबसे निचले स्तर पर है।
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GDP का मात्र 1.9% से 2.1% हिस्सा शिक्षा पर खर्च होता है, जबकि UNESCO 4% का न्यूनतम स्तर सुझाता है।