Edited By Anu Malhotra,Updated: 14 Jun, 2025 05:38 PM

मध्य-पूर्व में तनाव एक बार फिर विस्फोटक स्थिति में पहुंच गया है। अमेरिका की ओर से ईरान को परमाणु संधि के लिए मनाने के तमाम प्रयास विफल होने के बाद, इजरायल ने बीते गुरुवार देर रात ‘ऑपरेशन राइजिंग लॉयन’ के नाम से बड़ा हवाई हमला किया। इसके जवाब में...
नई दिल्ली/तेहरान: मध्य-पूर्व में तनाव एक बार फिर विस्फोटक स्थिति में पहुंच गया है। अमेरिका की ओर से ईरान को परमाणु संधि के लिए मनाने के तमाम प्रयास विफल होने के बाद, इजरायल ने बीते गुरुवार देर रात ‘ऑपरेशन राइजिंग लॉयन’ के नाम से बड़ा हवाई हमला किया। इसके जवाब में ईरान ने भी कड़ा रुख अपनाते हुए ड्रोन और मिसाइल हमलों की झड़ी लगा दी। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि अब इसे एक खुला युद्ध माना जा रहा है, और इसका असर सिर्फ इन दो देशों तक सीमित नहीं है — इसका सीधा असर भारत और दुनिया की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है।
क्या हुआ अब तक? युद्ध का पहला अध्याय
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इजरायल के हमले:
इजरायल ने ईरान की सैन्य और परमाणु ठिकानों को निशाना बनाकर हमला किया। इसका मकसद था ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकना।
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ईरान का जवाब:
शुक्रवार देर रात ईरान ने इजरायल पर पलटवार करते हुए 200 से ज्यादा मिसाइलें दाग दीं। ड्रोन हमले पहले ही किए जा चुके थे।
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ईरान का बयान:
ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने कहा कि "इजरायल ने अपनी तबाही खुद तय कर ली है।"
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अमेरिकी चेतावनी:
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चेतावनी दी है कि अगर हालात नहीं सुधरे, तो यह युद्ध बड़े पैमाने पर वैश्विक संघर्ष में बदल सकता है।
भारत पर क्या पड़ेगा असर?
हवाई यात्रा होगी महंगी
ईरान और इराक के एयरस्पेस बंद हो चुके हैं, और पाकिस्तान का रास्ता पहले से ही बंद है। अब भारत से यूरोप, अमेरिका और कनाडा की उड़ानों को लंबा रास्ता लेना पड़ेगा। इससे यात्रा का समय और खर्च दोनों बढ़ेंगे, और हवाई टिकट महंगे हो जाएंगे।
तेल के दामों में आग
युद्ध शुरू होते ही कच्चे तेल की कीमतें 9% तक बढ़ गईं। कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया है कि अगर हालात और बिगड़े, तो क्रूड की कीमतें और 8-9% बढ़ सकती हैं।
भारत अपनी जरूरत का 85% तेल आयात करता है, इसलिए दाम बढ़ने का सीधा असर मंहगाई और आम जनता की जेब पर पड़ेगा।
आयात बिल बढ़ेगा
कमोडिटी विशेषज्ञों का मानना है कि दो दिनों में क्रूड की कीमतों में 15% उछाल आया है। अगर यह रफ्तार जारी रही, तो भारत का आयात बिल कई अरब डॉलर तक बढ़ सकता है। इससे सरकार पर आर्थिक दबाव बढ़ेगा।
महंगाई का खतरा
तेल महंगा होने से परिवहन, माल ढुलाई, निर्माण सामग्री, टायर, पेंट्स और ल्यूब्रिकेंट जैसे उत्पाद भी महंगे हो जाएंगे। इसका असर रोजमर्रा की चीज़ों पर पड़ेगा, और खुदरा महंगाई में 0.5% तक इजाफा हो सकता है।
रुपये पर दबाव
जैसे ही संकट बढ़ता है, निवेशक ‘डॉलर’ जैसे सुरक्षित विकल्पों की तरफ भागते हैं। इससे रुपया कमजोर होता है, जिससे आयात और महंगा हो जाता है और ट्रेड और करंट अकाउंट डेफिसिट पर दबाव आता है।
खाड़ी में काम कर रहे भारतीयों पर संकट
लगभग 1 करोड़ भारतीय खाड़ी देशों में काम करते हैं। अगर यह युद्ध और फैला, तो उनकी सुरक्षा और नौकरी दोनों पर संकट आ सकता है। इन प्रवासियों ने पिछले साल लगभग 45 अरब डॉलर भारत भेजे थे, जो अर्थव्यवस्था के लिए बेहद जरूरी हैं।
चाबहार पोर्ट पर असर
ईरान का चाबहार बंदरगाह, जो भारत की कूटनीतिक और व्यापारिक रणनीति का हिस्सा है, पहले ही अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से धीमा चल रहा था। अब इस संघर्ष के कारण यह परियोजना और बाधित हो सकती है। साथ ही भारत-मिडल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर पर भी असर पड़ने की आशंका है।
समुद्री व्यापार भी प्रभावित
स्वेज नहर, रेड सी और हॉर्मुज़ जलडमरूमध्य जैसे अहम समुद्री रास्तों के प्रभावित होने की आशंका है। अगर शिपिंग बाधित हुई, तो भारत का निर्यात और आयात दोनों प्रभावित होंगे। व्यापार में देरी और लागत बढ़ना तय है।