केरल में जुम्बा पर बवाल: क्यों मुस्लिम संगठनों ने उठाई आपत्ति, क्या है जुम्बा और इसकी शुरुआत कैसे हुई?

Edited By Updated: 30 Jun, 2025 12:56 PM

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हाल ही में, केरल में कुछ स्कूलों में जुम्बा क्लासेस शुरू की गईं थीं। इन क्लासेस का उद्देश्य नशा विरोधी अभियान को बढ़ावा देना था, लेकिन इसके बाद कुछ मुस्लिम संगठनों ने इस पर आपत्ति जताई। उनका कहना है कि इसमें लड़कों और लड़कियों को एक साथ नाचते हुए,...

नेशनल डेस्क: हाल ही में, केरल में कुछ स्कूलों में जुम्बा क्लासेस शुरू की गईं थीं। इन क्लासेस का उद्देश्य नशा विरोधी अभियान को बढ़ावा देना था, लेकिन इसके बाद कुछ मुस्लिम संगठनों ने इस पर आपत्ति जताई। उनका कहना है कि इसमें लड़कों और लड़कियों को एक साथ नाचते हुए, कम कपड़ों में देखा जाता है, जो धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से ठीक नहीं है। विजडम इस्लामिक ऑर्गनाइजेशन के महासचिव टी. के. अशरफ ने फेसबुक पर लिखा कि वे इस प्रकार के सेशन्स को स्वीकार नहीं करते। इसके अलावा, समस्ता (एक प्रमुख मुस्लिम संगठन) के नेता नसर फैज़ी कूड़ाथाय ने भी इस कार्यक्रम का विरोध किया। उन्होंने इसे अश्लीलता का हिस्सा बताते हुए कहा कि यह छात्रों के निजी अधिकारों और उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है, क्योंकि इसे अनिवार्य बनाना उनकी धार्मिक मान्यताओं के खिलाफ है।

जुम्बा एक प्रकार की एक्सरसाइज है जिसमें डांस और एरोबिक्स को एक साथ मिलाकर किया जाता है। इसमें खास तरह के डांस मूव्स के जरिए पूरी बॉडी की एक्सरसाइज की जाती है। जुम्बा में किसी भी प्रकार के जिम उपकरण की जरूरत नहीं होती, सिर्फ आरामदायक कपड़े और जूते चाहिए होते हैं। इसे ज्यादातर लोग इसलिए पसंद करते हैं क्योंकि यह न केवल फिटनेस को बढ़ाता है, बल्कि इसे करने में काफी मज़ा भी आता है। इसमें संगीत का महत्वपूर्ण रोल होता है और यह वर्कआउट एक एनर्जेटिक अनुभव बन जाता है।

सरकार का रुख क्या है?

इन विरोधों के बावजूद, केरल सरकार ने जुम्बा क्लासेस को आगे बढ़ाने का फैसला किया है। शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी ने साफ तौर पर कहा कि छात्र अपनी नियमित ड्रेस में भी जुम्बा में भाग ले सकते हैं और इस कार्यक्रम को किसी भी तरह से आपत्तिजनक नहीं माना जाएगा।

जुम्बा की शुरुआत कैसे हुई?

जुम्बा की शुरुआत 1986 में एक एरोबिक्स ट्रेनर अल्बर्टो बेटो पेरेज़ ने की थी। दरअसल, एक दिन वह अपनी क्लास के लिए पॉप म्यूजिक की कैसेट भूल गए थे और उनके पास कार में रखे लैटिन गाने थे। तो उन्होंने उन गानों को इस्तेमाल करके 30 मिनट की क्लास ली। उनके छात्रों को यह एक्सरसाइज का तरीका बहुत पसंद आया और तभी से जुम्बा की शुरुआत हुई। धीरे-धीरे यह एक्सरसाइज दुनिया भर में फैलने लगी और 2001 में बेटो पेरेज़ ने 'ज़ुम्बा फिटनेस' नामक कंपनी की शुरुआत की।

जुम्बा के प्रकार

जुम्बा में विभिन्न प्रकार के सेशंस होते हैं, ताकि हर उम्र के लोग इसे अपनी शारीरिक क्षमता के हिसाब से कर सकें:

  • Zumbini: यह बच्चों के लिए एक प्रकार का जुम्बा होता है जिसमें आसान मूव्स होते हैं।

  • Zumba Gold: यह सीनियर सिटीजन के लिए होता है, जिसमें हल्के और कम-चैलेंजिंग मूव्स होते हैं।

  • Aqua Zumba: इसमें पानी में जुम्बा किया जाता है।

  • Zumba Toning: यह मसल्स को टोन करने के लिए हल्के वज़न के साथ किया जाता है।

 

क्या जुम्बा है केवल एक डांस या वर्कआउट?

जुम्बा सिर्फ एक डांस फॉर्म नहीं है, बल्कि यह एक वर्कआउट के रूप में एक्सरसाइज का बेहतरीन तरीका है। इसमें डांस स्टेप्स के साथ साथ कार्डियो वर्कआउट भी होता है, जिससे शरीर में ऊर्जा का संचार होता है। जुम्बा करने से वजन घटाने के अलावा मसल्स टोन होते हैं और हृदय संबंधित रोगों का खतरा भी कम होता है।

क्यों हो रहा जुम्बा का विरोध?

जुम्बा के विरोध करने वाले मुस्लिम संगठनों का मानना है कि इसमें लड़के और लड़कियां एक साथ नाचते हैं, जो उनके धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं के खिलाफ है। इसके अलावा, कम कपड़ों में नाचने से धार्मिक दृष्टिकोण से अश्लीलता को बढ़ावा मिलता है। उनका कहना है कि सरकार को बच्चों के शारीरिक शिक्षा में सुधार करना चाहिए न कि इस तरह के कार्यक्रमों को अनिवार्य करना चाहिए।

जुम्बा के फायदे

  • फिटनेस: जुम्बा से शरीर की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और वजन कम करने में मदद मिलती है।

  • मनोरंजन: यह वर्कआउट बहुत मजेदार और एनर्जेटिक होता है, जिससे लोग इसे नियमित रूप से करना पसंद करते हैं।

  • समय की बचत: जुम्बा के एक सेशन में कई प्रकार की एक्सरसाइज एक साथ हो जाती हैं, जो समय की बचत करती है।

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