Edited By Tanuja,Updated: 28 Mar, 2023 12:15 PM

भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में हिंदी भाषा को सम्मान व प्रेम मिल रहा है। यही वजह है कि दुनिया के कई देशों के लोग हिंदी भाषा सीखकर...
इंटरनेशनल डेस्कः भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में हिंदी भाषा को सम्मान व प्रेम मिल रहा है। यही वजह है कि दुनिया के कई देशों के लोग हिंदी भाषा सीखकर उसी भाषा में बात करते हैं । इसी क्रम में लिथुआनिया देश की राजदूत ने भी हिंदी के साथ-साथ संस्कृत भाषा सीखी है। डायना मिकविसीन ने कहा कि उनका देश संस्कृत भाषा के साथ घनिष्ठ संबंध होने पर गर्व करता है। इसी के साथ उन्होंने ये आग्रह किया भी किया है कि इसको लेकर अधिक रिसर्च की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा, “लिथुआनियाई भाषा संस्कृत के बेहद करीब वाली भाषा है और इसका वैज्ञानिक तथ्य भी है। हमें नहीं पता कि ये कैसे हुआ इसलिए हम इस पर रिसर्च करने की सोच रहे हैं। हमने शुरुआत में सिर्फ अनुवाद के लिए ये भाषा सीखी थी. भारत में लोगों को इसके बारे में ज्यादा पता नहीं है, इसलिए हमारा इरादा अपनी बात लोगों तक पहुंचाने का है। ”उन्होंने ये भी बताया कि इसको लेकर एक शब्दकोश भी प्रकाशित हो चुका है जो 108 शब्दों का है जिसमें संस्कृत और लुथिआनियाई भाषा में समान हैं।
उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि जैसे मधु, देव, अग्नि आदि ऐसे शब्द हैं जो हमारी भाषा और संस्कृत भाषा में समान हैं। उनका मानना है कि संस्कृत और लुथिआनियाई भाषा जो हैं वो दुनिया की बेहद पुरानी भाषाओं में शुमार हैं और इनमें काफी समानताएं भी हैं। इन सभी शब्दों के दोनों भाषाओं में ध्वनि और अर्थ एक समान हैं। इसको लेकर उन्होंने कहा कि एक शोध की जरूरत हैं। वो कहती हैं, “मुझे लगता है कि शोध करने की आवश्यकता है और हमारा विचार वास्तव में शोध को जारी रखने का है। जैसे संस्कृत के एक भारतीय विद्वान को खोजना जो लिथुआनियाई भाषा में रुचि लेगा, उन्हें संस्कृत के लिथुआनियाई विद्वानों के साथ जोड़ना, ताकि वे एक साथ बैठ सकें। हमारे पास आसानी से 1008 शब्द और इससे भी अधिक समान शब्द हो सकते हैं जिनपर शोध हो सकता है।"