Edited By Mansa Devi,Updated: 28 Jun, 2025 12:25 PM

बच्चों की परवरिश में प्यार, समझदारी और धैर्य का होना बेहद जरूरी है। आज की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में माता-पिता अक्सर अनजाने में कुछ ऐसे व्यवहार कर बैठते हैं जो बच्चों के मानसिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। विशेष रूप से डांटना एक ऐसी आदत है, जो...
नेशनल डेस्क: बच्चों की परवरिश में प्यार, समझदारी और धैर्य का होना बेहद जरूरी है। आज की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में माता-पिता अक्सर अनजाने में कुछ ऐसे व्यवहार कर बैठते हैं जो बच्चों के मानसिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। विशेष रूप से डांटना एक ऐसी आदत है, जो अगर गलत समय पर की जाए तो बच्चों के आत्मविश्वास और सोचने-समझने की क्षमता को गहरा नुकसान पहुंचा सकती है।
बच्चों का मन बहुत संवेदनशील होता है और वे छोटी-छोटी बातों को भी दिल पर ले लेते हैं। इसलिए यह जानना जरूरी है कि किन समयों पर बच्चों को डांटना उन्हें अधिक नुकसान पहुंचा सकता है। यहां हम ऐसे तीन मुख्य समय बता रहे हैं जब बच्चों को डांटना टालना चाहिए।
➤ सुबह उठने के तुरंत बाद
सुबह का समय पूरे दिन के मूड को तय करता है। जब बच्चा नींद से उठता है तो उसका मन शांत होता है और शरीर सुस्त होता है। ऐसे में अगर उस पर ज़ोर-ज़बरदस्ती या डांट की जाए तो उसका मन खराब हो सकता है और दिनभर चिड़चिड़ापन बना रह सकता है। स्कूल के लिए देर होने पर भी उसे प्यार से उठाएं, कठोरता से नहीं।
➤ स्कूल से लौटते समय
स्कूल से लौटने के बाद बच्चा मानसिक और शारीरिक रूप से थका हुआ होता है। ऐसे में तुरंत सवाल-जवाब करना या किसी गलती के लिए डांटना उसे असहज बना सकता है। उस समय उसे आराम, भोजन और थोड़े स्नेह की ज़रूरत होती है। जब वह रिलैक्स हो जाए तब संवाद करें।
➤ रात को सोने से पहले
सोने से पहले का समय बच्चे के लिए बेहद खास होता है। यह वह समय होता है जब वह दिनभर की थकान के बाद मानसिक रूप से शांत होता है। अगर इस समय उसे डांटा जाए तो नींद पर असर पड़ सकता है, जिससे उसका मानसिक विकास और स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। उसे सुलाते समय हमेशा स्नेह और अपनापन दिखाएं।