हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख, पूछा – ‘खुद ही मुसीबत को न्योता दिया, ऐसा क्यों कहा...’

Edited By Updated: 15 Apr, 2025 05:05 PM

sc takes tough stand on hc s controversial remarks

बीते दिनों इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि ब्रेस्ट छूना और कपड़े फाड़ना, रेप या रेप की कोशिश नहीं है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को संज्ञान लिया है। इसी के साथ कोर्ट ने उस टिप्पणी की भी कड़ी आलोचना की जिसमें कहा गया था कि पीड़िता ने "खुद...

नेशनल डेस्क : बीते दिनों इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि ब्रेस्ट छूना और कपड़े फाड़ना, रेप या रेप की कोशिश नहीं है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को संज्ञान लिया है। इसी के साथ कोर्ट ने उस टिप्पणी की भी कड़ी आलोचना की जिसमें कहा गया था कि पीड़िता ने "खुद मुसीबत को न्योता दिया"। सुप्रीम कोर्ट की बेंच, अध्यक्षता कर रहे जस्टिस बी. आर. गवई ने कहा कि न्यायपालिका को इस तरह की भाषा के प्रयोग से समाज में गलत संदेश जाता है। इस पीड़िता की मां भी मौजूद थी।   

जमानत देना अलग बात, लेकिन पीड़िता को दोष देना गलत-

जस्टिस गवई ने कहा,"अगर हाईकोर्ट आरोपी को जमानत देना चाहता था, तो दे सकता था, लेकिन पीड़िता पर दोष लगाना कहां तक सही है?"

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हाई कोर्ट ने पीड़िता की समझदारी पर उठाए सवाल

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी को जमानत देते हुए पीड़िता की समझदारी पर सवाल उठाए। कोर्ट ने कहा कि पीड़िता एमए की स्टूडेंट थी। एक समझदार होकर भी वह आरोपी के घर पर क्यों गई। उसने मुसीबत को खुद न्योता दिया है।

इसके अलावा कोर्ट ने एक अन्य मामले में हाइकोर्ट के जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा ने कहा था कि 11 साल की बच्ची के ब्रेस्ट छूने और पाजामे का नाड़ा तोड़ने एक महिला की गरिमा को चोट पहुंचाने वाला है, लेकिन रेप की कोशिश नही है।   

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