मुंबई: संसद की अनुमान समिति के हीरक जयंती समारोह पर विवाद: 27 लाख के शाही खाने और चांदी की थालियों पर छिड़ा घमासान

Edited By Updated: 26 Jun, 2025 10:30 AM

there was a ruckus over the expenses of the government banquet in mumbai

मुंबई के विधान भवन में बीते दिन संसद की अनुमान समिति की हीरक जयंती पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन अब खाने-पीने पर हुए भारी-भरकम खर्च को लेकर घमासान छिड़ गया है। इस आयोजन में परोसे गए भोजन की कीमत और जिस थाली में उसे परोसा गया वह दोनों ही चर्चा का विषय...

नेशनल डेस्क। मुंबई के विधान भवन में बीते दिन संसद की अनुमान समिति की हीरक जयंती पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन अब खाने-पीने पर हुए भारी-भरकम खर्च को लेकर घमासान छिड़ गया है। इस आयोजन में परोसे गए भोजन की कीमत और जिस थाली में उसे परोसा गया वह दोनों ही चर्चा का विषय बने हुए हैं।

सोशल एक्टिविस्ट विजय कुंभार ने एक पोस्ट में गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि यह वही समिति है जो सादगी और फिजूलखर्ची पर रोक लगाने की बात करती है लेकिन उसने खुद 27 लाख रुपये सिर्फ खाने पर खर्च कर दिए। कुंभार ने इसे जनता के पैसे की बर्बादी बताया है।

सादगी का पाठ पढ़ाने वाली कमेटी खा गई 27 लाख का खाना

विजय कुंभार ने अपनी पोस्ट में विस्तार से लिखा कि मुंबई के विधान भवन में पूरे देश से आए बजट समिति के सदस्यों के लिए "राजसी दावत" का आयोजन किया गया। इस दावत में प्रति व्यक्ति लागत 4,500 रुपये बताई गई है। खाने को चांदी की प्लेट्स में परोसा गया जिनकी प्रति प्लेट कीमत 550 रुपये बताई जा रही है। करीब 600 मेहमानों के लिए कुल खर्च 27 लाख रुपये बैठा। कुंभार ने कटाक्ष करते हुए कहा, यह वही समिति है जो सादगी का पाठ पढ़ाती है लेकिन खुद जनता के पैसों की बर्बादी में डूबी रही।

 

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जनता के पैसे की बर्बादी - विजय कुंभार

विजय कुंभार ने आगे कहा कि इस सम्मेलन में देशभर से 600 गेस्ट (अध्यक्ष, सदस्य और अधिकारी) शामिल हुए। उनके स्वागत में विधान भवन के बाहर 40 फुट ऊंचा बोर्ड लगाया गया, मानो यह कोई शाही स्वागत समारोह हो। अध्यक्षों और सदस्यों के लिए होटल ताज पैलेस में और अधिकारियों के लिए होटल ट्राइडेंट में ठहरने की व्यवस्था की गई थी। इतना ही नहीं विधान सभा परिसर में मलमल के कपड़े के डाइनिंग मंडप बनाए गए बड़े-बड़े झूमर लगाए गए और हॉल से लेकर डाइनिंग एरिया तक लाल कालीन बिछाए गए।

कुंभार ने सवाल उठाया, इस शाही व्यवस्था को देखकर आम आदमी के टैक्स के पैसे को इस तरह लूटने वाले इन समूहों को शर्म कैसे न आए? क्या जनता के पैसे को इस तरह बर्बाद करने वाले वाकई मितव्ययिता की भाषा समझते हैं? यह सवाल अब हर नागरिक के मन में है।

विपक्ष ने साधा निशाना: 'महाराष्ट्र में दुनिया का सबसे बड़ा घोटाला'

इस मुद्दे पर कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) ने भी महाराष्ट्र की महायुति सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस विधायक ने सरकार पर "दोहरे मानदंड" अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार के पास गरीबों के लिए कोई पैसा नहीं है लेकिन साथ ही सत्तारूढ़ गठबंधन राजनीतिक अभिजात वर्ग पर खर्च करने में कोई संयम नहीं दिखा रहा है।

शिवसेना (यूबीटी) के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने भी तीखा हमला बोलते हुए आरोप लगाया, महाराष्ट्र में हो रहे भ्रष्टाचार की तुलना दुनिया के किसी भी घोटाले से नहीं की जा सकती। यह बहुत ही उच्च स्तरीय घोटाला है।

यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब देश में आर्थिक मितव्ययिता और सार्वजनिक धन के सदुपयोग पर लगातार बहस चल रही है।

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