Edited By Mehak,Updated: 28 Dec, 2025 06:38 PM

इंटरनेट किसी एक व्यक्ति, कंपनी या सरकार का मालिक नहीं है। यह दुनिया भर के हजारों नेटवर्कों से मिलकर बना एक साझा ग्लोबल सिस्टम है। सबसे ऊपर टियर-1 नेटवर्क प्रोवाइडर्स हैं, जो समुद्र के नीचे फाइबर ऑप्टिक केबल बिछाकर महाद्वीपों को जोड़ते हैं। टियर-2 और...
नेशनल डेस्क : आज के डिजिटल युग में इंटरनेट हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है। इसके बावजूद यह सवाल अक्सर उठता है कि इंटरनेट का मालिक आखिर कौन है। सच यह है कि इंटरनेट किसी एक सरकार, कंपनी या व्यक्ति के नियंत्रण में नहीं है। यह दुनिया भर में फैले हजारों नेटवर्कों से मिलकर बना एक साझा वैश्विक सिस्टम है।
इंटरनेट कैसे काम करता है?
इंटरनेट कई छोटे-बड़े नेटवर्कों का समूह है, जो अपनी मर्जी से एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं। हर नेटवर्क, केबल और सर्वर का मालिक अलग-अलग होता है, लेकिन कोई भी एक संस्था पूरे इंटरनेट को नियंत्रित नहीं करती।
टियर-1 नेटवर्क प्रोवाइडर्स
इंटरनेट की सबसे ऊपरी परत टियर-1 नेटवर्क प्रोवाइडर्स की होती है। ये कंपनियां समुद्र के नीचे बिछी फाइबर ऑप्टिक केबल्स के जरिए महाद्वीपों को जोड़ती हैं। ये आपस में सीधे डेटा का आदान-प्रदान करती हैं। इसमें टाटा कम्युनिकेशंस, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, मेटा और अमेजन जैसे बड़े नाम शामिल हैं।
टियर-2 नेटवर्क प्रोवाइडर्स
टियर-2 कंपनियां टियर-1 नेटवर्क से इंटरनेट बैंडविड्थ खरीदती हैं और उसे राष्ट्रीय स्तर पर वितरित करती हैं। भारत में रिलायंस जियो, भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और बीएसएनएल इस श्रेणी में आते हैं।
टियर-3 इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स
टियर-3 प्रोवाइडर्स वे होते हैं, जो सीधे आम यूजर्स तक इंटरनेट पहुंचाते हैं। ये स्थानीय या क्षेत्रीय कंपनियां होती हैं, जो फाइबर, केबल या वायरलेस नेटवर्क के जरिए घरों और दफ्तरों में इंटरनेट सेवा देती हैं।
पनडुब्बी केबल्स की अहम भूमिका
दुनिया के लगभग 99 प्रतिशत इंटरनेट डेटा का ट्रैफिक समुद्र के नीचे बिछी फाइबर ऑप्टिक केबल्स से होकर गुजरता है। भारत में इनके प्रमुख लैंडिंग पॉइंट मुंबई, चेन्नई और कोच्चि में हैं। किसी एक केबल में खराबी आने से कई देशों में इंटरनेट बाधित हो सकता है।
डेटा सेंटर्स और नियम
डेटा को स्टोर और प्रोसेस करने का काम बड़े डेटा सेंटर्स में होता है। वहीं इंटरनेट के तकनीकी नियम और मानक ICANN और IETF जैसे अंतरराष्ट्रीय, गैर-लाभकारी संगठन तय करते हैं, जिससे इंटरनेट पूरी दुनिया में एक समान तरीके से काम कर सके।