Amarnath Yatra: अमरनाथ गुफा की मानसिक यात्रा के साथ जानें कैसे होते हैं बाबा बर्फानी के दर्शन

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 09 Jun, 2025 03:43 PM

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Amarnath Yatra 2025: भोले बाबा के भक्तों को बेसब्री से पवित्र अमरनाथ यात्रा का इंतजार रहता है। 3 जुलाई से शुरू होगी बाबा बर्फानी की यात्रा। जो 9 अगस्त को रक्षाबंधन पर छड़ी मुबारक के साथ समाप्त होगी। अमरनाथ यात्रा की तारीखों की घोषणा 5 मार्च को हो गई...

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Amarnath Yatra 2025: भोले बाबा के भक्तों को बेसब्री से पवित्र अमरनाथ यात्रा का इंतजार रहता है। 3 जुलाई से शुरू होगी बाबा बर्फानी की यात्रा। जो 9 अगस्त को रक्षाबंधन पर छड़ी मुबारक के साथ समाप्त होगी। अमरनाथ यात्रा की तारीखों की घोषणा 5 मार्च को हो गई थी। 15 अप्रैल से ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन शुरू हो गई थी। अमरनाथ यात्रा मुख्य रूप से दो स्थानों से आरंभ होती है। पहलगाम और बालटाल। पहलगाम से अमरनाथ गुफा तक का पारंपरिक पैदल मार्ग करीब 48 किलोमीटर लंबा है। जिसे तय करने में 3-4 दिन का समय लगता है। बालटाल मार्ग पहलगाम से छोटा है लेकिन कठिन और सीधा है, यह लगभग 14 किलोमीटर है। अमरनाथ यात्रा का खर्च लगभग 5,000 से लेकर 40,000 के बीच होता है। बाकी यह प्रति व्यक्ति यात्रा के दौरान अपनाई जाने वाली सुख-सुविधाओं पर निर्भर करता है। अपने बजट अनुकूल यात्रा भी की जा सकती है। 

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बर्फानी बाबा का प्रथम दर्शन पाने की प्रत्येक हिंदू की मंशा होती है लेकिन हर किसी को यह सौभाग्य प्राप्त नहीं हो पाता। आप इस लेख के माध्यम से बाबा बर्फानी के दरबार की मानसिक यात्रा कर सकते हैं। अमरनाथ यात्रा का आरंभ पहलगाम से होता है। यह जगह इतनी मनोरम है ऐसा प्रतीत होता है मानो प्रकृति ने अपनी सारी खूबसूरती इसी स्थान को दे दी है। चैकिंग के दौरान भोले बाबा के भक्तों को आगे जाने की अनुमति मिलती है।

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अमरनाथ यात्रा का दूसरा पड़ाव है चंदनबाड़ी। माना जाता है की भोलेनाथ और माता पार्वती जब अमरनाथ गुफा में जा रहे थे तो भोले नाथ ने अपने चंदन और भस्म को यहां अपने अंग से अलग कर रख दिया था।

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अमरनाथ यात्रा का तीसरा पड़ाव है पिस्सू घाटी जो पिस्सू टॉप नाम से भी जाना जाता है। भोले नाथ ने यहां अपनी जटाओं से पिस्सुओं को उतार कर रखा था। अन्य प्राचीन कथा के अनुसार इस घाटी पर देवताओं और राक्षसों के मध्य भयंकर युद्ध हुआ था। जिसमें दानव हार गए थे और देवों की विजय हुई थी।

चंदनवाड़ी से 14 किलोमीटर की दूरी पर शेषनाग झील है। इस स्थान पर भगवान शिव ने शेषनाग को अपने गले से उतार कर रखा था। माना जाता है कि दिन में एक बार शेषनाग झील से बाहर आकर भक्तों को दर्शन देते हैं। 

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शेषनाग झील से आठ मील की दूरी पर पांच छोटी-छोटी धाराएं प्रवाहित होती हैं इसलिए इस जगह को पंचतरणी नाम से जाना जाता है।

शेषनाग से आठ मील के फासले पर पंचतरणी है। मार्ग में बैववैल टॉप और महागुणास दर्रे से लेकर महागुणास चोटी से पंचतरणी तक का सारा मार्ग उतराई का है। 

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पंचतरणी से अमरनाथ गुफा का मार्ग आठ किलोमीटर है। बर्फ से ढका होने के कारण यह मार्ग काफी कठिन है। इसके बाद श्री अमरनाथ जी के दर्शनों का सौभाग्य प्राप्त होता है।  

श्री अमरनाथ गुफा जी के साथ ही देवी पार्वती का शक्तिपीठ भी स्थापित है। जो महामाया शक्तिपीठ के नाम से विख्यात है। इस स्थान पर देवी सती का गला गिरा था। पवित्र गुफा में जहां बाबा बर्फानी हिमलिंग के रूप में भक्तों को दर्शन देते हैं वहीं हिम निर्मित पार्वती पीठ भी प्राकृतिक रूप से बनता है। पार्वती पीठ को ही महामाया शक्तिपीठ कहा जाता है। सावन माह की पूर्णिमा को हिमलिंग और शक्तिपीठ दोनों के दर्शन किए जा सकते हैं। माना जाता है की इन दोनों के दर्शन करने से शिवलोक में स्थान प्राप्त होता है। 

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