Annapurna Jayanti : घर में भरे रहेंगे अन्न-धान्य के भंडार, इस मुहूर्त में करें पूजा

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 26 Dec, 2023 09:49 AM

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आज मार्गशीर्ष पूर्णिमा के उपलक्ष्य में अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाएगी। रोटी, कपड़ा व मकान हर व्यक्ति की परम आवश्यकता है। वैदिक काल से लेकर वर्तमान कलियुग तक हर व्यक्ति संसार के कल्याण की कामना करता है। सनातन धर्म भी संपूर्ण संसार का कल्याण चाहता है,...

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Annapurna Jayanti 2023: आज मार्गशीर्ष पूर्णिमा के उपलक्ष्य में अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाएगी। रोटी, कपड़ा व मकान हर व्यक्ति की परम आवश्यकता है। वैदिक काल से लेकर वर्तमान कलियुग तक हर व्यक्ति संसार के कल्याण की कामना करता है। सनातन धर्म भी संपूर्ण संसार का कल्याण चाहता है, तभी तो शास्त्र कहते हैं-

‘सर्वे भवन्तु सुखिनः:’

शास्त्रों में अन्नपूर्णा देवी को महागौरी का स्वरूप माना गया है। संसार के सार महादेव के साथ उनकी भी पूजा होती है। धार्मिक भंडारे, पंगत व लंगर महादेवी गौरी के अन्नपूर्णा स्वरूप का ही हिस्सा हैं। अन्नपूर्णा जयंती पर मुख्य रूप से, अन्न व खाद्य पदार्थ का पूजन होता है। मान्यता अनुसार इस दिन विधिवत पूजन करने से घर में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं रहती व अन्नपूर्णा देवी की कृपा बनी रहती है। शास्त्रों में गृहिणियों को भी अन्नपूर्णा स्वरूप माना गया है। अत: इस दिन गृहिणियों द्वारा गैस पर चावल व मिष्ठान का भोग लगाने के साथ ही एक दीपक जलाया जाता है, जिससे घर में कभी भंडार खाली न रहे। 

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Mythological reference of Bhagwati Annapurna भगवती अन्नपूर्णा का पौराणिक संदर्भ: शास्त्र अनुसार देवी अन्नपूर्णा का रंग जवापुष्प के समान है। इनके तीन नेत्र हैं, मस्तक पर अर्धचंद्र सुशोभित है। भगवती अन्नपूर्णा अनुपम लावण्य से युक्त नवयुवती के सदृश हैं। दिव्य आभूषणों से विभूषित होकर ये प्रसन्न मुद्रा में स्वर्ण-सिंहासन पर विराजित हैं। देवी के बाएं हाथ में अन्न से पूर्ण माणिक्य, रत्न से जड़ा पात्र तथा दाहिने हाथ में रत्नों से निर्मित करछुल है। स्कंद पुराण के ‘काशीखंड’ में लिखा है कि महादेव गृहस्थ हैं व भवानी उनकी गृहस्थी चलाती हैं।

अत: काशी वासियों के योग-क्षेम का भार इन्हीं पर है। ‘ब्रह्मवैवर्त्पुराण’ के काशी-रहस्य के अनुसार भवानी ही अन्नपूर्णा हैं। देवी अन्नपूर्णा अन्न दान में सदा तल्लीन रहती हैं। देवी भागवत में राजा बृहद्रथ की कथा से अन्नपूर्णा माता और उनकी पुरी काशी की महिमा उजागर होती है। महादेवी पृथ्वी पर साक्षात कल्पलता हैं क्योंकि ये अपने भक्तों को मनोवांछित फल प्रदान करती हैं। स्वयं महादेव ने इनकी प्रशंसा में कहा है ‘‘मैं अपने पांच मुखों से भी अन्नपूर्णा का पूरा गुणगान कर सकने में समर्थ नहीं हूं।’’ 

यद्यपि बाबा विश्वनाथ काशी में शरीर त्यागने वाले को तारक- मंत्र देकर मुक्ति प्रदान करते हैं, तथापि इसकी याचना मां अन्नपूर्णा से ही की जाती है। गृहस्थ धन-धान्य की तो योगी ज्ञान-वैराग्य की भिक्षा इनसे मांगते हैं।

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Historical context of Bhagwati Annapurna भगवती अन्नपूर्णा का ऐतिहासिक संदर्भ : अन्नपूर्णा को देवी जगदंबा का ही रूप माना गया है, जिनसे सम्पूर्ण विश्व का संचालन होता है। इन्हीं जगदंबा के अन्नपूर्णा स्वरूप से संसार का भरण-पोषण होता है। अन्नपूर्णा का शाब्दिक अर्थ है धान्य यानी अन्न की अधिष्ठात्री देवी। मान्यता अनुसार सभी प्राणियों को भोजन देवी अन्नपूर्णा की कृपा से ही प्राप्त होता है। कलयुग में देवी अन्नपूर्णा की पूरी काशी है, किंतु संपूर्ण विश्व उनके नियंत्रण में है। महादेव की नगरी काशी के अन्नपूर्णा के आधिपत्य में आने की कथा बड़ी रोचक है। 

महादेव जब पार्वती के संग विवाह करने के पश्चात उनके पिता के क्षेत्र हिमालय के अन्तर्गत कैलाश पर रहने लगे, तब देवी ने अपने मायके में निवास करने के बजाय अपने पति की नगरी काशी में रहने की इच्छा व्यक्त की। महादेव उन्हें साथ लेकर अपने सनातन गृह काशी आए। काशी उस समय मात्र एक महाश्मशान नगरी थी। महादेवी को सामान्य गृहस्थ स्त्री के समान ही अपने घर का मात्र श्मशान होना नहीं भाया। अत: यह व्यवस्था बनी कि सत्य, त्रेता, या द्वापर तीन युगों में काशी श्मशान रहे व कलियुग में यह अन्नपूर्णा की पुरी होकर बसे। इसी कारण वर्तमान समय में अन्नपूर्णा मंदिर काशी की प्रधान देवी पीठ है। काशी क्षेत्र के व्यक्ति अन्नपूर्णा को ही भवानी मानते हैं। अत: काशी में आज भी कोई भूखा नहीं सोता।

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Worship method and auspicious time पूजन विधि और शुभ मुहूर्त : मंगलवार दिनांक 26.12.2023 को मार्गशीर्ष पूर्णिमा के उपलक्ष्य में महादेवी पार्वती स्वरूपा देवी अन्नपूर्णा का विशेष पूजन किया जाएगा। सुबह 05 बजकर 46 मिनट से पूर्णिमा तिथि शुरू हो रही है। इसका समापन 27 दिसंबर 2023 को सुबह 06 बजकर 02 मिनट पर होगा।

रसोई घर की पूर्व दिशा में लाल वस्त्र पर नव धान की ढेरी पर पार्वती अथवा देवी अन्नपूर्णा का चित्र व पानी से भरे ताम्र कलश में अशोक के पत्ते व नारियल रखकर कलश स्थापना करें। तत्पश्चात रसोई गैस, कलश व चित्र का विधिवत पूजन करें। गौघृत का दीप करें, सुगंधित धूप करें, रोली से तिलक करें, मेहंदी चढ़ाएं, लाल फूल चढ़ाएं। धनिया की पंजीरी का भोग लगाएं तथा किसी माला से इस विशेष मंत्र का यथासंभव जाप करें।

Goddess Annapurna Puja Mantra देवी अन्नपूर्णा पूजा मंत्र : ह्रीं अन्नपूर्णायै नम:॥

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