Astrology: घर में ये पेड़-पौधे लगाने से मिलती है ग्रह-नक्षत्र पीड़ा से मुक्ति

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 04 Nov, 2022 11:14 AM

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आज पर्यावरण को लेकर पूरी दुनिया सचेत हो रही है लेकिन हमारे आदि ऋषि-मुनियों ने प्रकृति और पर्यावरण के महत्व को आज से हजारों वर्ष पूर्व समझ कर

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Jyotish Shastra: आज पर्यावरण को लेकर पूरी दुनिया सचेत हो रही है लेकिन हमारे आदि ऋषि-मुनियों ने प्रकृति और पर्यावरण के महत्व को आज से हजारों वर्ष पूर्व समझ कर हमें वृक्षारोपण और उनके पालन-पोषण तथा आराधना का संदेश दिया था। सभी नक्षत्रों के अपने एक आराध्य देव और वृक्ष हैं, जिनकी उपासना उसी नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति द्वारा करने से भौतिक एवं आध्यात्मिक लाभ मिलते हैं। यजुर्वेद में इन्हीं देवताओं का उल्लेख किया गया है।

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आज हम अश्विनी को पहला नक्षत्र मानते हैं, लेकिन वेदांग ज्योतिष में कृतिका ही पहला नक्षत्र था। इसलिए कृतिका से शुरूआत कर क्रमानुसार 27 नक्षत्रों-देवताओं को श्लोकबद्ध किया गया था। नक्षत्रों के गण-योनि-नाड़ी-तत्त्व से उस नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति का स्वभाव, प्रकृति, इत्यादि का बोध होता है। इन सबका विचार कर हमारे आदि ऋषि-मुनियों ने अनुकूल वनस्पति प्रत्येक नक्षत्र के लिए निर्धारित की है। वनस्पति पेड़-पौधों से उत्पन्न होती है। इसके उपयोग और उपासना से जीवन निरोगी और संपन्न होता है। हमारे त्रिकाल ऋषि-मुनियों ने वनस्पति की केवल पूजा ही नहीं बताई, बल्कि वृक्षारोपण- वृक्ष संवर्धन करना हमारे रोजमर्रा के कामों में उपयोगी बताया है।
इनके तने, छिलके, पत्ते और फूल-फलों का उपयोग करना सही वृक्षोपासना बताई है। प्राचीन ग्रंथ तंत्रराज तंत्र में अश्विनी से रेवती तक 27 नक्षत्रों में वृक्षों को श्लोकबद्ध किया गया है।

प्राचीनकाल से ही हमारी संस्कृति में वृक्षों की आराधना घरों में होती आ रही है और आज भी हम बहुत से पेड़ों को देवस्वरू पूजते हैं। कदम्ब, गूलर, पीपल, नागचंपा, शमी, बड़ यह सब नक्षत्रों के आराध्य वृक्ष हैं, जिनकी पूजा पीढ़ियो से परंपरानुसार हम करते आ रहे हैं। हमारे ज्योतिष महर्षियों ने ज्योतिषशास्त्र की संरचना करते समय-ग्रह-राशि के लिए रत्न, देवता और आराध्य वृक्ष नामांकित किए थे, जिनकी पूजा करने से नक्षत्र या ग्रहों की प्रतिकूलता दूर की जा सकती है।

किसी भी ग्रह एवं नक्षत्र से उत्पन्न पीड़ा या दोष निवारण के लिए अधिकांश ज्योतिषी ग्रह संबंधी रत्न पहनने की सलाह देते हैं। रत्न महंगे होने के कारण जन सामान्य के लिए सहज सुलभ हों, यह जरूरी नहीं। इसीलिए हमारे ऋषियों ने विशिष्ट रत्नों की बजाय, ग्रह संबंधी वनस्पति या ग्रह-नक्षत्र के आराध्य वृक्ष लगाने और उन्हें पूजने की सलाह दी। सारांशत:, आप यह जान लें कि ग्रह-नक्षत्र पीड़ा निवारण के लिए यदि आप अपने जन्म नक्षत्र का वृक्ष लगाते हैं, तो इससे आपकी पीड़ा का निवारण होगा।

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ग्रह    वृक्ष
रवि - बिल्व
चंद्र - खिरणी
मंगल- अनंतमूल
बुध - विधारा
गुरु - केला
शुक्र - सरपोखा
शनि - बिछुआ
राहु - चंदन
केतु - असगंध

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नक्षत्रों से सम्बन्धित वृक्ष
1. अश्वनी कारस्कर
2. भरणी धात्री [आंवला]
3. कृतिका उदुम्बर [गूलर]
4. रोहिणी जम्ब [जामुन]
5. मृगशिरा खादिर
6. आद्र्रा कृष्ण
7. पुनर्वसु वंश [कीकर]
8. पुष्य पीपल
9. अश्लेषा नाग [नागचंपा]
10. मघा रोहिण [वट वृक्ष]
11. पूर्व फाल्गुनी पलाश [अशोक]
12. उत्तरा फाल्गुनी प्लक्ष [खेजड़ी]
13. हस्त अम्वष्ठ [जूही]
14. चित्रा बिल्व
15. स्वाति अर्जुन
16. विशाख बिकंकत [नागकेसर]
17. अनुराधा बकुला
18. ज्येष्ठा सरल [नीम]
19. मूल सर्ज
20. पूर्वाषाढ़ा वंजुल [आर्क]
21. उत्तराषाढ़ पनस [कटहल]
22. श्रवण अर्क
23. धनिष्ठा शमी
24. शतभिषा कदंब
25. पूर्वाभाद्रपद निम्ब
26. उत्तरा भाद्रपद आम्र
27. रेवती मधूक

ग्रह वनस्पति
सूर्य : बिल्वपत्र की जड़
चंद्रमा : खिरनी की जड़
मंगल : अनंत मूल की जड़
बुध : विधारा की जड़
गुरु : केले की जड़
शुक्र : सरपोंखा की जड़
शनि : बिच्छू की जड़
राहु : चंदन
केतु : असगंध की जड़

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