Edited By Niyati Bhandari,Updated: 27 Jun, 2023 12:04 PM
चरित्र चूड़ामणि, व्याख्यान वाचस्पति गुरुदेव श्री मदन जी महाराज का जन्म अप्रैल 1895 में जिला सोनीपत (हरियाणा) के गांव राजपुर में मुरारी लाल जैन व गेंदाबाई के घर हुआ। आपके जन्म से घर में हर प्रकार की मौज हो गई थी, इसलिए परिवार द्वारा आपका नाम मौजी राम...
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Gurudev madan lal punyatithi: चरित्र चूड़ामणि, व्याख्यान वाचस्पति गुरुदेव श्री मदन जी महाराज का जन्म अप्रैल 1895 में जिला सोनीपत (हरियाणा) के गांव राजपुर में मुरारी लाल जैन व गेंदाबाई के घर हुआ। आपके जन्म से घर में हर प्रकार की मौज हो गई थी, इसलिए परिवार द्वारा आपका नाम मौजी राम रख दिया गया।
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बचपन में ही माता-पिता के निधन के पश्चात आपका पालन-पोषण दिल्ली में मौसी मोरनी देवी के घर हुआ। 23 दिसम्बर, 1912 को दिल्ली में अंग्रेज शासकों के साथ हुए एक क्रांतिकारी घटनाक्रम के दौरान मौजी राम ने संकल्प लिया कि अगर आज जान बच गई तो दीक्षा ग्रहण करूंगा। 16 अगस्त, 1914 को बामनौली में गुरुदेव छोटे लाल जी व नाथू लाल जी के चरणों में दीक्षा ग्रहण कर बालक मौजी राम से मदन मुनि बन गया।
कठोर अनुशासन के बीच इनका जीवन गुजरा जिसके बाद उन्होंने उत्तर भारत में लाखों युवाओं को धर्म के साथ जोड़ते हुए महान समाज सुधार का काम किया। अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाते हुए इन्होंने युवावस्था में ही साधु समाज के अनेक महत्वपूर्ण पदों को सुशोभित किया। सन् 1956 में आप श्रमण संघ के प्रधान मंत्री बने।
जीवन के अंतिम क्षणों में इस महान विभूति को गले के कैंसर ने जकड़ लिया और 27 जून, 1963 को जंडियाला गुरु में अपना नश्वर शरीर त्याग कर आप देवलोक गमन कर गए। वर्तमान संघ संचालक श्री नरेश मुनि जी महाराज के पावन सान्निध्य में इनका 60वां पुण्य स्मृति दिवस आज पूरे भारत में मनाया रहा है।