Kal Bhairav Jayanti: 27 नवंबर के दिन-रात हैं खास, मनोकामना पूरी करने के लिए करें ये काम

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 25 Nov, 2021 08:36 AM

kal bhairav

जो देखने में भयंकर हों या जिन्हें देख कर भय उत्पन्न होता हो, हिन्दू धर्म में शिव के अवतार माने जाते हैं- भगवान विष्णु के अंश भगवान शिव के पांचवें स्वरूप श्री भैरव नाथ जिन्हें शास्त्रों में ‘महाकाल’ कहा जाता है। भगवान भोले भंडारी के दो रूप हैं-

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Kal Bhairav Jayanti 2021: जो देखने में भयंकर हों या जिन्हें देख कर भय उत्पन्न होता हो, हिन्दू धर्म में शिव के अवतार माने जाते हैं- भगवान विष्णु के अंश भगवान शिव के पांचवें स्वरूप श्री भैरव नाथ जिन्हें शास्त्रों में ‘महाकाल’ कहा जाता है। भगवान भोले भंडारी के दो रूप हैं- भक्तों को अभयदान देने वाला विश्वेश्वर स्वरूप और दूसरा दुष्टों को दंड देने वाला भैरव स्वरूप। पुराणों के अनुसार जिस समय अंधक दैत्य के साथ भगवान शिव का युद्ध हुआ, अंधक की गदा से शिव का सिर 4 टुकड़े हो गया और उसमें से रक्त की धारा बहने लगी थी, उसी धारा से भैरव नाथ अथवा काल भैरव का जन्म हुआ था।

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Who is Bhairav in Hindu religion: सृष्टि की रचना, पालन तथा संहार करने वाले क्रमश: ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश हैं। भैरव स्वरूप अत्यंत रौद्र, विकराल, प्रचंड है। इनकी उपासना से सभी प्रकार की दैहिक, दैविक, मानसिक परेशानियों से मुक्ति मिलती है।

How is Kalabhairav Jayanti celebrated: धार्मिक मान्यता है कि शिव भोले भंडारी की पूजा से पहले काल भैरव की पूजा होती है। ऐसा वरदान भोले भंडारी ने काल भैरव को दे रखा है। इन्हें उग्र देवता माना जाता है परंतु पूजा-अर्चना से शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। इन्हें देवताओं का कोतवाल, दंडपति भी कहा जाता है। अपने भक्तों की मनोकामना पूर्ण करने के लिए ये तुरंत पहुंच जाते हैं। श्री काल भैरव अत्यंत कृपालु एवं भक्त वत्सल देवता हैं।

Which day is special for Kala Bhairava: विष्णु पुराण की शतरुद्र संहिता के अनुसार मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को भैरव नाथ का जन्म हुआ था। इस दिन व्रत रख कर जल, अर्घ्य, पुष्प, तेल से बने मीठे मिष्ठान इत्यादि से काल भैरव की पूजा का विधान है। व्रत रखने वाले को रात्रि जागरण कर भगवान शिव एवं पार्वती जी की कथा का पठन एवं श्रवण अवश्य करना चाहिए। ये दुखों एवं शत्रुओं के नाश करने में समर्थ हैं। भोले भंडारी के सेनाध्यक्ष हैं। शिव भोले की सेना में 11 रुद्र, 11 रुद्रणियां, चौंसठ योगिनियां, अनगिणत मातृकाएं तथा 108 भैरव हैं। शिव की सेना के 36 करोड़ प्रथम गण भी काल भैरव के आधिपत्य में हैं। वह इतनी बड़ी सेना के नायक हैं तथा काल के भी काल हैं।

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What is the importance of Kalashtami: कलिका पुराण में वर्णन है कि बालक श्री गणेश ने सिर काटने से पहले इन्हीं से युद्ध किया था इसलिए इन्हें वीरभद्र भी पुकारा जाता है।

Kala bhairava ashtami pooja benefits: मां दुर्गा के सेनापति भी काल भैरव ही हैं। शिव अवतार होने के कारण मां दुर्गा के अत्यंत प्रिय, आदि शक्ति महादेवी दुर्गा, चंडिका, काली गढ़ देवी, त्रिपुर सुंदरी व अम्बा का मंदिर जहां भी होगा काल भैरव उन्हीं के साथ होते हैं। मां दुर्गा की पूजा-अर्चना के उपरांत काल भैरव की पूजा का विधान है। इनके दर्शन करने से मां की पूजा-अर्चना सफल मानी जाती है। इनका वाहन कुत्ता व मुख्य अस्त्र दंड है। भैरव जी का व्रत रखने पर कुत्ते को कुछ मीठा भोजन अवश्य देना चाहिए। इनका दिन रविवार एवं मंगलवार है। इस दिन उड़द की दाल के भल्ले सरसों तेल में तल कर सिंदूर लगा कर भैरव जी के मंदिर या पीपल के नीचे रख कर प्रार्थना करनी चाहिए। इससे दुष्ट ग्रहों राहू व शनि का शमन होता है।

ॐ भैरवाय नम:’  का जाप करें।

जब ब्रह्मा जी एवं विष्णु जी में विवाद हुआ कि परम तत्व कौन है? तब भगवान भोले भंडारी ने औघड़ बाबा भैरव का रूप धारण कर ब्रह्मा जी के अहं को चूर-चूर कर दिया। भोले भंडारी ने भैरव बाबा को काशीपुर का आधिपत्य सौंप दिया और कहा कि जो मेरी मुक्तिदायिनी काशी नगरी है वहां तुम्हारा सदैव आधिपत्य होगा। आप भस्म लपेटे हैं मगर इनकी मूर्तियों पर लाल सिंदूर चढ़ाया जाता है। उज्जैन एवं मेहंदीपुर बाला जी में इनके प्रसिद्ध मंदिर हैं।

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