Navratri 9th Day: माता सिद्धिदात्री से जुड़ी हर जानकारी के लिए यहां क्लिक करें

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 30 Mar, 2023 10:36 AM

maa siddhidatri

दुर्गा मां के इस पवित्र पर्व पर प्रत्येक भक्त उनके नौ रूपों की कृपा पाने हेतू पूरे तन-मन व श्रद्धाभाव से उनकी पूजा-अर्चना करता है। मां के ये नौ रूप जगत के लिए अत्यंत कल्याणकारी हैं। अतः अंत में नवरात्रि

What is the meaning of Siddhidatri: दुर्गा मां के इस पवित्र पर्व पर प्रत्येक भक्त उनके नौ रूपों की कृपा पाने हेतू पूरे तन-मन व श्रद्धाभाव से उनकी पूजा-अर्चना करता है। मां के ये नौ रूप जगत के लिए अत्यंत कल्याणकारी हैं। अतः अंत में नवरात्रि के नौवें दिन मां दुर्गा के सिद्धिदात्री रूप की पूजा की जाती है। मां के हर रूप की अपनी अनोखी महिमा है। नाम से ज्ञात होता है कि मां का यह रूप उसके उपासक को हर प्रकार की सिद्धि प्रदान करता है। इस ब्रह्मांड में ऐसा कुछ भी नहीं रह जाता, जिसे वह प्राप्त न कर सके। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार सिद्धियां आठ प्रकार की होती हैं। मां के इस स्वरूप की पूजा के साथ ही नौ दिन के नवरात्र के अनुष्ठान की समाप्ति हो जाती है। सिद्धिदात्री मां की साधना से जातक की हर मनोकामना पूरी होती है।

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What is Maa Siddhidatris physical appearance: मां का स्वरूप
मां चतुर्भुज धारी, सिंह की सवारी करने वाली है। इनका आसन कमल पुष्प है। मां ने एक भुजा में गदा, एक में चक्र धारण किया हुआ है। एक हाथ में शंख व एक हाथ में कमल पुष्प लिए हैं। मां ने लाल वस्त्र धारण किए हुए हैं। इनके मुखमण्डल पर अनोखी आभा सुशोभित है।

Devi Siddhidatri katha: मां की उत्तपत्ति से जुडी पौराणिक कथा
मां दुर्गा प्रतिपदा से लेकर नवमी तिथि तक दानवों का नाश करती है, जिससे देवताओं के सभी भय दूर हो जाते हैं। अतः नौवें दिन मां का यह स्वरूप दानवों के अंत के बाद अपने भक्तों के मनोरथ सिद्ध करने के लिए है। मां को आदि शक्ति कहा जाता है।

What does Maa Siddhidatri symbolize: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार आरम्भ में मां का कोई स्वरूप नहीं था। हालांकि प्रत्येक शक्ति को धारण करने वाली मां आदि शक्ति ही हैं। भगवान शिव ने सिद्धियों की प्राप्ति के लिए मां की उपासना की और उनसे कई सिद्धियां प्राप्त की। तब मां भगवान शिव के ही आधे शरीर में नारी का रूप लेकर अवतरित हुई और तभी से भगवान शिव के अर्धनारीश्वर रूप का भी प्रदूभाव हुआ।

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Goddess Siddhidatri puja vidhi: पूजा विधि
सर्वप्रथम मां के साधक को स्नानादि के बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करने चाहिए। इसके बाद चौंकी लगाएं। चौंकी पर साफ वस्त्र से मां का आसन तैयार करें। गंगाजल से शुद्ध करें तत्पश्चात मां की प्रतिमा की स्थापना करें। मां को लाल रंग की चुनरी व अन्य वस्त्र पहनाएं। रोली, चावल, कुमकुम, केसर आदि से तिलक कर अन्य श्रृंगार करें। धूप- दीप आदि से मां की पूजा व आरती करें। उन्हें फूल-फल आदि का भोग अर्पित करें। नवरात्र के अंतिम दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व माना जाता है। अतः पूजा के बाद यथासम्भव छोटी कन्याओं को श्रद्धा से भोजन करवाएं व उपहार दें। ततपश्चात उनके चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लें।

Significance of Goddess Siddhidatri puja: मां की आराधना से जातक का निर्वाण चक्र जागृत होता है। मां की उपासना करने वाले भक्त के लिए सब कार्य सुगम व सरल हो जाते हैं। वह बहुत जल्दी अपने मनोरथ को प्राप्त कर लेता है। वह सारे सुखों को भोगकर अंत में मोक्ष को प्राप्त करता है।  

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