Edited By Prachi Sharma,Updated: 08 Jun, 2025 07:01 AM

Sant Eknath Maharaj Story: महाराष्ट्र के संत एकनाथ की ईश्वर निष्ठा अनुकरणीय थी। उनके अनेक शिष्य थे, जिन्होंने उनसे दीक्षा लेकर स्वयं को ईश्वर के प्रति समर्पित किया था। संत एकनाथ उन्हीं लोगों को दीक्षा देते थे, जो हर प्रकार से अपने पारिवारिक...
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Sant Eknath Maharaj Story: महाराष्ट्र के संत एकनाथ की ईश्वर निष्ठा अनुकरणीय थी। उनके अनेक शिष्य थे, जिन्होंने उनसे दीक्षा लेकर स्वयं को ईश्वर के प्रति समर्पित किया था। संत एकनाथ उन्हीं लोगों को दीक्षा देते थे, जो हर प्रकार से अपने पारिवारिक दायित्वों को पूर्ण कर चुके हों अथवा जिन्होंने सांसारिक बंधनों को स्वीकार ही नहीं किया था।
एक बार संत एकनाथ के पास एक गृहस्थ बड़ा ही उत्साहित होकर पहुंचा। उसने उनके चरण स्पर्श कर कहा, ‘‘भगवन ! आज अपनी घर-गृहस्थी छोड़कर आपकी शरण में आया हूं। मैंने यही तय किया है कि अपना शेष जीवन ईश्वर के भजन पूजन में बिताऊंगा। कृपा कर मेरे कल्याणार्थ मुझे दीक्षा प्रदान करें।’’
संत एकनाथ ने उससे पूछा,‘‘क्या तुम्हारी पत्नी ने तुम्हें संन्यास लेने की अनुमति प्रदान की है ?’’

गृहस्थ ने उत्तर दिया,“नहीं भगवान ! जब पत्नी और बच्चे गहरी नींद में सो रहे थे, तब मैंने इसे अच्छा अवसर समझकर घर छोड़ दिया। मेरे सन्यास ग्रहण करने में पत्नी की अनुमति की क्या आवश्यकता है ?”
उसका उत्तर सुनकर एकनाथ ने उसे डांटते हुए कहा, “मूर्ख, अज्ञानी ! यहां तू कौन से भगवान की सेवा करेगा ? वह तो तेरे परिवार के रूप में तेरे घर में ही है और तू उसे त्याग आया। जब तक तू घर के भगवान की भक्ति नहीं करेगा, तेरा संन्यास विफल रहेगा।”
गृहस्थ को अपनी भूल का अहसास हुआ और वह घर लौट गया।
