Saturn Rise 2023: 5 मार्च को हो रहे हैं शनिदेव उदय, सिंह राशि वालों को मिलेंगे ये शुभ-अशुभ प्रभाव

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 05 Mar, 2023 11:14 AM

शनि देव ने 17 जनवरी को गोचर किया था कुंभ राशि में और उसके बाद कुछ राशियों के ऊपर शनि की साढ़ेसाती शुरू हुई है

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Shani rashi parivartan शनि राशि परिवर्तन: शनि देव ने 17 जनवरी को गोचर किया था कुंभ राशि में और उसके बाद कुछ राशियों के ऊपर शनि की साढ़ेसाती शुरू हुई है और कुछ राशियों के ऊपर से शनि का प्रभाव कम हुआ है। 17 के बाद 30 को शनि अस्त हो गए और अब दोबारा से 5 मार्च को उदय होंगे और ये गोचर बहुत ही महत्वपूर्ण होगा क्योंकि 30 साल बाद शनि कुम्भ राशि में प्रवेश करेंगे। शनि देव की दो राशियां हैं मकर और कुंभ राशि। शनिदेव का प्रिय घर कुम्भ राशि है। शनि का उदय होना इसलिए ज्यादा अहम है क्योंकि शनि 31 साल बाद कुंभ राशि में प्रवेश के दौरान शतभिषा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। शनिदेव जब राहु के नक्षत्र में जाएंगे तो पूरे प्रभावी हो जाएंगे। शतभिषा नक्षत्र कर्म फल देने वाला नक्षत्र है। इसके अच्छे फल देखने को मिलेंगे। 15 अक्टूबर तक शनि इसी नक्षत्र में रहेंगे। इसके बाद फिर धनिष्ठा में जाएंगे और 24 नवंबर को दोबारा शतभिषा में आएंगे। इस नक्षत्र में रहने के दौरान शनि कर्म के हिसाब से फल देंगे।

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सिंह राशि: अब बात करेंगे सिंह राशि के जातकों के बारे में। शनि देव का गोचर सिंह राशि के कुंडली में सप्तम भाव में हो रहा है। आपकी कुंडली में शनि देव छठे भाव और सप्तम के स्वामी बनते हैं। छठा भाव रोग, ऋण और शत्रु का भाव होता है। यदि आपकी महादशा या अंतर्दशा चल रही है तो निश्चित तौर पर आपको ज्यादा सावधान रहने की जरुरत है। यदि आप शादीशुदा हैं तो पत्नी के मामले में थोड़ा सावधान रहने की जरुरत है। पत्नी के सेहत में गिरावट देखने को मिल सकती है। शनिदेव सप्तम में बैठकर तीसरी दृष्टि से सप्तम भाव को देखेंगे। भाग्य फल में कमी देखने को मिल सकती है। अगर कोई काम कर रहे हैं तो उसमें रूकावट पैदा हो सकती है। शनि जिस राशि में बैठते हैं, उनके काम धीरे-धीरे होने शुरू हो जाते हैं। किसी भी काम में ज्यादा मेहनत करनी पड़ सकती है।

शनिदेव उदय होकर सप्तम दृष्टि से देखेंगे लग्न को। चन्द्रमा के ऊपर जब शनि की दृष्टि आती है तो आपको सुस्त कर देंगे। आज का काम कल पर न टालें। काम पर ज्यादा ध्यान दें। शनिदेव की दशम दृष्टि जाएगी चौथे भाव के ऊपर। चौथा भाव सुख स्थान और मां का स्थान होता है। सुखों में कमी देखने को मिल सकती है। यदि आप कोई प्रॉपर्टी खरीदना चाहते हैं तो हो सकता है उस काम में देरी हो जाए।

नरेश कुमार
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