US attacks Iran: ईरान बोला- अब सबकी बारी! अमेरिका की कार्रवाई से मच सकता है महाविस्फोट

Edited By Rohini Oberoi,Updated: 22 Jun, 2025 11:26 AM

america s move ignited the iranian flame

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर हवाई हमले के आदेश के बाद मध्य पूर्व में तनाव अपने चरम पर पहुँच गया है। इससे पहले ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने चेतावनी दी थी कि अगर अमेरिका इजरायल के साथ युद्ध में शामिल होता...

इंटरनेशनल डेस्क। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर हवाई हमले के आदेश के बाद मध्य पूर्व में तनाव अपने चरम पर पहुँच गया है। इससे पहले ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने चेतावनी दी थी कि अगर अमेरिका इजरायल के साथ युद्ध में शामिल होता है तो यह 'सभी के लिए बेहद खतरनाक' साबित होगा। अब जब अमेरिका ने सीधे हमला कर दिया है तो पूरी दुनिया की नज़रें इस पर टिकी हैं कि ईरान किस तरह से इसका जवाब देगा।

ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह खामेनेई पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को चेता चुके हैं कि ईरान समर्पण नहीं करेगा। इस हमले के बाद यह तो तय है कि यह संघर्ष जल्द ही पूरे क्षेत्र को अपनी चपेट में ले लेगा। हालाँकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि ईरान किस तरह से जवाब देगा लेकिन आने वाले दिनों में खाड़ी क्षेत्र की स्थिति काफी तनावपूर्ण होने वाली है।

क्या फिर से होगा खून-खराबा?

ईरान और आसपास के क्षेत्र में अब स्थिति साल 2003 के उस दौर में पहुँचती हुई दिख रही है जब यहाँ पर सबसे ज़्यादा खून-खराबा हुआ था। माना जा रहा है कि ईरान अब खाड़ी क्षेत्र में स्थित अमेरिकी सेना के अड्डों को निशाना बना सकता है। इराक की सेनाएँ भी ईरान के साथ आती हुई नज़र आ रही हैं। वर्तमान में अमेरिकी सेनाएँ तुर्की, सीरिया, लेबनान, इराक, बहरीन, इजरायल, मिस्र, जिबूती, अरब सागर और कुवैत में तैनात हैं। इनमें से सबसे ज़्यादा 10 हज़ार अमेरिकी सैनिक कुवैत में हैं। कुल मिलाकर लगभग 51,400 अमेरिकी सैनिक इस क्षेत्र में डेरा डाले हुए हैं जो किसी भी बड़े टकराव की स्थिति में तुरंत कार्रवाई करने के लिए तैयार हैं।

 

यह भी पढ़ें: ईरान का बड़ा आरोप: दुश्मन ने परमाणु ठिकानों पर किया बर्बर हमला, IAEA की मिलीभगत पर उठाए सवाल

 

हूती और हिजबुल्लाह भी उतरेंगे मैदान में

इस संघर्ष में अन्य क्षेत्रीय गुटों की भूमिका भी अहम होगी:

➤ यमन में हूती विद्रोही पहले ही कह चुके हैं कि अगर ईरान पर हमला हुआ तो वे अमेरिकी जहाजों को निशाना बनाना शुरू कर देंगे। इस बयान के साथ ही अमेरिका के साथ उनका युद्ध जो कुछ समय से रुका था फिर से शुरू हो जाएगा।

➤ लेबनान का हिजबुल्लाह अभी तक चुप था लेकिन पिछले हफ़्ते उसने भी चेतावनी दी थी कि अगर अमेरिका का हमला हुआ तो फिर वह ईरान के समर्थन में उन तरीकों से काम कर सकता है जो उसे सही लगेंगे। हिजबुल्लाह का हस्तक्षेप इजरायल के साथ एक और विनाशकारी युद्ध को जन्म दे सकता है जिसने पिछले साल लेबनान के बड़े हिस्से को तबाह कर दिया था और उत्तरी इजरायल में हजारों लोगों को विस्थापित किया था।

क्या दुनिया को नहीं मिलेगा तेल?

सबसे बड़ा ख़तरा होर्मुज जलडमरूमध्य को लेकर है। अगर ईरान इसे बंद करने में सफल हो जाता है तो यह कदम वैश्विक अर्थव्यवस्था और खाड़ी क्षेत्र से ऊर्जा की आपूर्ति करने वाले देशों के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है। इस जलडमरूमध्य से दुनिया का लगभग 20 प्रतिशत तेल गुज़रता है। इसका बंद होना अंतरराष्ट्रीय तेल बाज़ारों में भारी उथल-पुथल मचा सकता है जिससे तेल की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच सकती हैं और वैश्विक मंदी का ख़तरा बढ़ सकता है।

कुल मिलाकर ईरान पर अमेरिकी हमले ने मध्य पूर्व को एक बड़े और अनिश्चित संघर्ष के मुहाने पर ला खड़ा किया है जिसके परिणाम पूरे विश्व के लिए दूरगामी हो सकते हैं।

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