डोनाल्ड ट्रंप ने फिर लिया भारत-PAK सीजफायर का क्रेडिट, कहा- मैं नहीं रोकता तो एक हफ्ते में परमाणु युद्ध हो जाता

Edited By Updated: 15 Jul, 2025 05:39 AM

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डोनाल्ड ट्रंप ने फिर लिया भारत-PAK सीजफायर का क्रेडिट, कहा- मैं नहीं रोकता तो एक हफ्ते में परमाणु युद्ध हो जाता

वॉशिंगटन/नई दिल्ली: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर यह दावा किया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध की आशंका को उन्होंने मध्यस्थता और व्यापारिक दबाव के जरिए टाल दिया। ट्रंप ने कहा कि अगर उन्होंने हस्तक्षेप नहीं किया होता, तो एक हफ्ते के भीतर दोनों देशों के बीच परमाणु संघर्ष शुरू हो सकता था। यह बयान उन्होंने ओवल ऑफिस में नाटो महासचिव मार्क रूटे के साथ बैठक के दौरान दिया।

ट्रंप का बयान: "हमने व्यापार से रोका युद्ध"

डोनाल्ड ट्रंप ने कहा: "हम युद्ध सुलझाने में काफी सफल रहे हैं। आपके पास भारत और पाकिस्तान हैं। आपके पास रवांडा और कांगो हैं, जो 30 वर्षों से लड़ रहे थे। वैसे, भारत और पाकिस्तान जिस तरह से भिड़ रहे थे, उससे लगता था कि एक सप्ताह के अंदर परमाणु युद्ध हो जाएगा। हालात बेहद गंभीर थे। हमने व्यापार के ज़रिए मामला सुलझाया। मैंने कहा, 'जब तक आप शांत नहीं होते, हम व्यापार पर चर्चा नहीं करेंगे।' और उन्होंने ऐसा किया।" ट्रंप ने दोनों देशों को “महान” बताया और कहा कि उनका दृष्टिकोण शांति लाने में निर्णायक रहा।

भारत का साफ इंकार: DGMO की सीधी बातचीत से हुआ था सीजफायर

हालांकि, भारत ने ट्रंप के इन दावों को पहले भी कई बार खारिज किया है। भारत का कहना है कि सीजफायर समझौता 10 मई को भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के महानिदेशकों (DGMO) के बीच सीधी सैन्य बातचीत से हुआ था, न कि किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता से।

विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि भारत का रुख स्पष्ट और सुसंगत रहा है — भारत किसी तीसरे देश की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं करता, खासकर पाकिस्तान जैसे संवेदनशील मुद्दों पर।

ट्रंप-मोदी बातचीत: क्या हुआ था?

मई में ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच लगभग 35 मिनट की फोन कॉल हुई थी। इसमें मोदी ने दो टूक कहा था कि: “भारत ने कभी भी किसी मध्यस्थता को स्वीकार नहीं किया है और न ही भविष्य में करेगा। पाकिस्तान के साथ बातचीत भारतीय सेना और पाकिस्तानी सेना के अनुरोध पर शुरू हुई थी।”

भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि संघर्षविराम की सहमति के पीछे कारण था पाकिस्तानी सेना की गुजारिश, जो भारत द्वारा किए गए कड़े सैन्य अभियान के बाद आई।

'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद पाकिस्तान झुका

इससे पहले भारत ने 7 मई को पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित आतंकवादी ठिकानों पर एक बड़ा सैन्य अभियान शुरू किया था, जिसे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम दिया गया। इसमें ड्रोन और मिसाइल हमलों का इस्तेमाल किया गया था।

चार दिनों तक चले इन हमलों के बाद पाकिस्तान पर दबाव बढ़ा और 10 मई को दोनों देशों के बीच युद्धविराम पर सहमति बनी।

 

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