Edited By Harman Kaur,Updated: 28 Jun, 2025 12:35 PM

12 जून को अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया विमान हादसे में जहां 270 लोगों की जान गई, वहीं कैप्टन सुमित सभरवाल की सूझबूझ और साहस ने एक बड़ी त्रासदी को टाल दिया। अहमदाबाद से लंदन जा रही फ्लाइट AI 171 के टेक ऑफ के कुछ ही मिनट बाद तकनीकी गड़बड़ी सामने आई,...
नेशनल डेस्क: 12 जून को अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया विमान हादसे में जहां 270 लोगों की जान गई, वहीं कैप्टन सुमित सभरवाल की सूझबूझ और साहस ने एक बड़ी त्रासदी को टाल दिया। अहमदाबाद से लंदन जा रही फ्लाइट AI 171 के टेक ऑफ के कुछ ही मिनट बाद तकनीकी गड़बड़ी सामने आई, जिसके चलते विमान ने अपना संतुलन खो दिया।
सूत्रों के मुताबिक, 56 वर्षीय कैप्टन सुमित सभरवाल को जब यह स्पष्ट हो गया कि विमान को दुर्घटनाग्रस्त होने से नहीं बचाया जा सकता, तब उन्होंने जानबूझकर विमान को ऐसे क्षेत्र में उतारा, जहां नुकसान न्यूनतम हो। बोइंग 787 विमान अहमदाबाद के एक मेडिकल कॉलेज हॉस्टल पर गिरा, जो कम आबादी वाला क्षेत्र था। अगर विमान कुछ सेकंड पहले या बाद में क्रैश होता, तो यह सीधे 1200 बेड वाले सिविल अस्पताल या मिलिट्री हॉस्पिटल से टकरा सकता था, जिससे तबाही कई गुना अधिक हो सकती थी।
घटनास्थल की जांच के दौरान विमान विशेषज्ञों ने बताया कि विमान की अंतिम ट्रैजेक्टरी से स्पष्ट है कि कैप्टन ने समय रहते निर्णय लेकर विमान को पेड़ों और हॉस्टल की छत के बीच फिसलाकर गिराया। हादसे में 241 यात्री
और क्रू मेंबर समेत 270 लोगों की मौत हुई, जबकि एक यात्री चमत्कारी रूप से जीवित बच गया।
8200 घंटे की उड़ान का था अनुभव
कैप्टन सुमित सभरवाल, जिनके पास 8200 घंटे की उड़ान का अनुभव था, का अंतिम संस्कार 17 जून को मुंबई में किया गया। इस हादसे में फर्स्ट ऑफिसर क्लाइव कुंदर की भी मृत्यु हुई, जिनके पास 1100 घंटे की उड़ान का अनुभव था।
13 जून से एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) की टीम जांच में जुटी है। वहीं, भारत सरकार ने इस गंभीर हादसे की जांच में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए संयुक्त राष्ट्र की संस्था ICAO (इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गनाइजेशन) को भी शामिल किया है।