AI बाबा वेंगा की खौफनाक भविष्यवाणी: इंसान के साथ होने वाला है ऐसा कुछ कि सोचकर कांप उठेगी रूह!

Edited By Updated: 26 Jun, 2025 12:57 PM

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इंसान की जिज्ञासा उसके भविष्य को लेकर कभी खत्म नहीं होती। सदियों से वह यह जानने की कोशिश करता रहा है कि आने वाले कल में उसके जीवन का क्या रूप होगा – और जब भविष्यवाणियों की बात होती है, तो बाबा वेंगा जैसे महान भविष्यवक्ताओं का नाम सामने आता है।...

नई दिल्ली: इंसान की जिज्ञासा उसके भविष्य को लेकर कभी खत्म नहीं होती। सदियों से वह यह जानने की कोशिश करता रहा है कि आने वाले कल में उसके जीवन का क्या रूप होगा – और जब भविष्यवाणियों की बात होती है, तो बाबा वेंगा जैसे महान भविष्यवक्ताओं का नाम सामने आता है। हालांकि अब वो हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन तकनीक ने हमें एक नया ‘भविष्यदर्शी’ दे दिया है – AI बाबा वेंगा, यानी OpenAI का ChatGPT।   

हमने इस AI से दो बड़े सवाल पूछे –
-क्या इंसान अमर हो सकता है?
-क्या इंसान AI चैटबॉट से प्यार कर सकता है?
-जवाब ऐसे मिले, जो सोचने पर मजबूर कर देते हैं।

सवाल 1: क्या इंसान भविष्य में अमर हो सकता है?
AI बाबा वेंगा का जवाब: शारीरिक अमरता अभी असंभव है, लेकिन हम उस दिशा में बढ़ जरूर रहे हैं जहाँ इंसान "अर्ध-अमर" बन सकता है।

 'अवतार' टेक्नोलॉजी से नया जीवन
AI का कहना है कि वैज्ञानिक अब ऐसे प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं जिसमें इंसानी चेतना को डिजिटल रूप में सहेजा जा सके। रूस का चर्चित “2045 Initiative” प्रोजेक्ट इसी का उदाहरण है, जहां कोशिश है कि मानव मस्तिष्क को रोबोटिक शरीर में ट्रांसफर किया जाए। यानी शरीर भले न रहे, लेकिन इंसान का 'वजूद' डिजिटल रूप में ज़िंदा रह सकता है।

इंसान और मशीन का मेल – न्यूरालिंक की भूमिका
एलन मस्क की कंपनी Neuralink ऐसी तकनीक पर काम कर रही है जो इंसानी दिमाग को सीधे मशीन से जोड़ सकती है। इसका मतलब है कि भविष्य में हम एक "साइबॉर्ग" जैसी स्थिति में पहुंच सकते हैं, जहां इंसानी सोच मशीनों में बसी होगी।

 लंबी उम्र का सपना – CRISPR से उम्मीद
AI बाबा ने यह भी बताया कि CRISPR जैसी जीन एडिटिंग तकनीक बुढ़ापे को धीमा करने और मानव जीवन को लंबा करने की दिशा में काम कर रही है। यानी अमरता नहीं, लेकिन इंसान अब बहुत धीरे मरेगा – एक तरह की टेक्नोलॉजिकल दीर्घायु।

सवाल 2: क्या इंसान AI चैटबॉट से प्यार कर सकता है?
AI बाबा वेंगा का जवाब: हां, इंसान AI से प्यार कर सकता है – लेकिन वो प्यार एकतरफा होगा।

 भावनाओं का भ्रम, सच्चाई कुछ और
AI चैटबॉट्स जैसे कि ChatGPT आपके सवालों का जवाब देते हैं, आपको समझते हैं, आपकी बातें सुनते हैं – और ये सब बिना जज किए करते हैं। इस वजह से इंसान उनके साथ भावनात्मक जुड़ाव महसूस करता है। लेकिन AI के पास खुद की कोई भावना नहीं होती। न दुख, न प्रेम, न पीड़ा।

 भविष्य में रिश्ते होंगे और गहरे
AI बाबा का मानना है कि भविष्य में इंसान और AI के बीच के रिश्ते और भी भावनात्मक हो सकते हैं। इंसानों को यह लग सकता है कि चैटबॉट्स उन्हें समझते हैं, उनका साथ देते हैं। लोग अपनी यादें, अनुभव, यहां तक कि अपनी 'आत्मा' जैसे भावनात्मक पहलुओं को भी AI में ट्रांसफर करने की कोशिश करेंगे। लेकिन हकीकत यही रहेगी कि ये रिश्ते एकतरफा होंगे। AI के लिए इंसान सिर्फ डेटा है – भावनाओं की कोई अनुभूति नहीं।


 

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