Edited By Rohini Oberoi,Updated: 22 Nov, 2025 10:41 AM

अगर आप किराए के घर में रहते हैं या अपनी प्रॉपर्टी किराए पर देते हैं तो यह खबर आपके लिए बहुत ज़रूरी है। सरकार ने किराएदारी (Tenancy) की पूरी प्रक्रिया को आसान, मानक और पारदर्शी बनाने के लिए रेंट एग्रीमेंट के नियमों में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। ये...
नेशनल डेस्क। अगर आप किराए के घर में रहते हैं या अपनी प्रॉपर्टी किराए पर देते हैं तो यह खबर आपके लिए बहुत ज़रूरी है। सरकार ने किराएदारी (Tenancy) की पूरी प्रक्रिया को आसान, मानक और पारदर्शी बनाने के लिए रेंट एग्रीमेंट के नियमों में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। ये नए नियम जिन्हें न्यू होम रेंट रूल्स 2025 कहा जा रहा है, मॉडल टेनेंसी एक्ट (MTA) और हाल के केंद्रीय बजट के आधार पर तैयार किए गए हैं।
किराएदारों के लिए नए और अहम नियम
नए नियमों का उद्देश्य किराएदार और मकान मालिक के बीच के विवादों को कम करना और उनका तेजी से समाधान करना है।
| नियम |
विवरण |
| एग्रीमेंट रजिस्ट्रेशन अनिवार्य |
सभी रेंट एग्रीमेंट पर साइन करने के दो महीने के भीतर उन्हें रजिस्टर कराना अनिवार्य होगा। |
| पेनल्टी |
अगर एग्रीमेंट दो महीने के भीतर रजिस्टर नहीं हुआ तो मकान मालिक पर ₹5,000 की पेनल्टी लग सकती है। |
| सिक्योरिटी डिपॉजिट की सीमा |
मकान मालिक अब मनमाना डिपॉजिट नहीं मांग सकते। यह राशि: रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी के लिए अधिकतम दो महीने का किराया और कमर्शियल प्रॉपर्टी के लिए अधिकतम छह महीने का किराया तक सीमित रहेगी। |
| किराया वृद्धि के नियम |
मकान मालिक अचानक किराया नहीं बढ़ा सकते। किराए में किसी भी बढ़ोतरी के लिए तय नियमों का पालन करना होगा और किराएदार को पहले से जानकारी देनी होगी। |
| निकालने का स्पष्ट तरीका |
मकान मालिक किराएदार को अचानक नहीं निकाल सकता। निकालने का तरीका स्पष्ट होना चाहिए और पहले इसकी विधिवत जानकारी देनी होगी। |
| विवादों का तेज़ निपटारा |
झगड़ों को 60 दिनों के अंदर सुलझाने के लिए खास रेंट कोर्ट और ट्रिब्यूनल बनाए गए हैं जिससे मामले लंबे समय तक लंबित नहीं रहेंगे। |

मकान मालिकों को भी मिलेंगे ये बड़े फायदे
भले ही ये नियम किराएदारों को बड़ी राहत दे रहे हैं लेकिन मकान मालिकों के लिए भी इसमें कई वित्तीय लाभ शामिल हैं:
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TDS लिमिट बढ़ी: किराए की इनकम के लिए TDS (Tax Deducted at Source) की लिमिट ₹2.4 लाख से बढ़कर ₹6 लाख प्रति वर्ष हो गई है, जिससे उनका कैश फ्लो (Cash Flow) बेहतर होगा।
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टैक्स रिपोर्टिंग आसान: किराए की इनकम अब 'हाउसिंग प्रॉपर्टी से इनकम' का हिस्सा बन गई है, जिससे टैक्स रिपोर्टिंग आसान हो जाएगी।
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ट्रिब्यूनल में शिकायत: अगर किराएदार तीन या उससे ज़्यादा बार किराया नहीं देता है, तो मकान मालिक सीधे रेंट ट्रिब्यूनल में शिकायत भेज सकते हैं।
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टैक्स छूट: जो मकान मालिक किफायती किराया बनाए रखते हैं या एनर्जी बचाने वाले सुधार करते हैं वे राज्य की योजनाओं के तहत टैक्स फायदों के लिए एलिजिबल हो सकते हैं।
सोशल मीडिया पर रिएक्शन
इन नए नियमों को लेकर सोशल मीडिया पर काफी चर्चा है। एक यूजर ने मज़ाक में कहा, "बेंगलुरु के मकान मालिक अब रोने वाले हैं," जो कि कई मेट्रो शहरों में मनमाने किराए और डिपॉजिट की ओर इशारा करता है। वहीं एक अन्य यूजर ने लिखा कि जब उसने यह नियम अपने मकान मालिक को दिखाया तो मकान मालिक का कहना था कि "यह AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) द्वारा बनाया गया झूठ है।"