Edited By rajesh kumar,Updated: 03 Sep, 2024 08:12 PM
हर देश में महिलाओं की शादी के लिए उम्र तय की गई है ताकि उसे अपने जीवन में अधिक मुश्किलों का सामना करना ना पड़े। हालांकि, दुनिया में एक ऐसा देश भी है जहां आज भी लोग सेक्स की बातें करने के लिए कतराते हैं और कम उम्र की लड़कियों के साथ यौन उत्पीड़न किया...
नेशनल डेस्क: हर देश में महिलाओं की शादी के लिए उम्र तय की गई है ताकि उसे अपने जीवन में अधिक मुश्किलों का सामना करना ना पड़े। हालांकि, दुनिया में एक ऐसा देश भी है जहां आज भी लोग सेक्स की बातें करने के लिए कतराते हैं और कम उम्र की लड़कियों के साथ यौन उत्पीड़न किया जाता है। हम बात कर रहे हैं पराग्वे की। यहां की एक महिला डायना जालजार ने अपने जीवन की बात करते हुए खुलासा किया कि कैसे 14 साल की उम्र में बिना किसी समझ के एक बच्चे की मां बन गई।
डायना ने बताया कि 15वें जन्मदिन से पहले उसका शरीर इतना बढ़ गया कि खरीदी गई ड्रेस में फिट नहीं हो पा रही थी। उसकी मां ने डॉक्टर से मदद मांगी, जिसने जांच के बाद बताया कि 14 साल की ज़ालजार पेट में ट्यूमर नहीं, बल्कि वह छठे महीने की गर्भवती है। जालजार के लिए यह हैरान कर देने वाली बात थी, क्योंकि उसने इसके कुछ समय पहले ही में पहली बार सेक्स किया था और उसे नहीं पता था कि इससे वह गर्भवती हो सकती है।
खुलकर चर्चा नहीं करते हैं लोग
बता दें कि पराग्वे एक कैथोलिक देश है, जहां किशोर गर्भधारण की दर दक्षिण अमेरिका में सबसे ज्यादा है। यहां के कई युवा माताओं का कहना है कि इसका मुख्य कारण सेक्स एजुकेशन की कमी है। पराग्वे के माता-पिता आमतौर पर सेक्स पर खुलकर चर्चा नहीं करते हैं, और जो भी शिक्षा दी जाती है, वह सिर्फ स्वच्छता पर केंद्रित होती है।
अब 23 साल का है डायना का बेटा
डायना ज़ालजार, जो अब 39 साल की हैं और अपने 23 वर्षीय बेटे की परवरिश कर रही हैं, कहती हैं, "मैं मां बनने का फैसला नहीं कर सकती थी, क्योंकि मुझे जानकारी नहीं थी।" वह अब बच्चों के अधिकारों के लिए काम कर रही हैं और बताती हैं कि पराग्वे में आज भी सेक्स एजुकेशन की कमी बनी हुई है।
राष्ट्रीय सेक्स शिक्षा पाठ्यक्रम मंजूर, लेकिन विवाद बढ़ा
हाल ही में, पराग्वे के शिक्षा मंत्रालय ने एक नया राष्ट्रीय सेक्स शिक्षा पाठ्यक्रम मंजूर किया है, लेकिन इस पर विवाद बढ़ गया है। यह पाठ्यक्रम पारंपरिक धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों पर आधारित है, जिसमें कंडोम की प्रभावशीलता पर सवाल उठाए गए हैं और यौन पहचान के बारे में कुछ भी नहीं कहा गया है। इसमें सेक्स को "शादीशुदा लोगों के लिए भगवान की खोज" के रूप में बताया गया है।