भारत को मिला आकाश का अभेद शस्त्र 'भार्गवास्त्र', काउंटर ड्रोन सिस्टम का हुआ सफल परीक्षण

Edited By Updated: 14 May, 2025 09:41 PM

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भारत ने अपनी रक्षा क्षमताओं को और मजबूत करते हुए 13 मई 2025 को स्वदेशी काउंटर-ड्रोन सिस्टम 'भार्गवास्त्र' का सफल परीक्षण किया। ओडिशा के गोपालपुर में हुए इस परीक्षण ने भारतीय सेना की सुरक्षा ताकत को एक नया आयाम दिया है।

नेशनल डेस्क: भारत ने अपनी रक्षा क्षमताओं को और मजबूत करते हुए 13 मई 2025 को स्वदेशी काउंटर-ड्रोन सिस्टम 'भार्गवास्त्र' का सफल परीक्षण किया। ओडिशा के गोपालपुर में हुए इस परीक्षण ने भारतीय सेना की सुरक्षा ताकत को एक नया आयाम दिया है। यह अत्याधुनिक प्रणाली अब भारतीय सीमाओं पर ड्रोन हमलों को नाकाम करने में अहम भूमिका निभाएगी। भगवान परशुराम के अस्त्र से प्रेरित इस प्रणाली का नाम 'भार्गवास्त्र' रखा गया है, जो भविष्य में वायुसेना और सेना की रक्षा रणनीतियों में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।

पाकिस्तान के हमलों के बाद बढ़ी सुरक्षा की आवश्यकता

भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। हाल ही में पाकिस्तान द्वारा भारत पर करीब 400 ड्रोन के जरिए पश्चिमी सीमा पर हमले किए गए थे। हालांकि, भारतीय सेना ने इन हमलों को पूरी तरह से नाकाम कर दिया था। इसके बाद भारत ने सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए अपने स्वदेशी एंटी-ड्रोन सिस्टम 'भार्गवास्त्र' का परीक्षण किया।

'भार्गवास्त्र' की सफलता

'भार्गवास्त्र' एक अत्याधुनिक काउंटर-ड्रोन सिस्टम है जो एक साथ कई ड्रोन पर हमला करने में सक्षम है। इस प्रणाली के तहत इस्तेमाल किए गए माइक्रो रॉकेटों का गोपालपुर के सीवर्ड फायरिंग रेंज में परीक्षण किया गया। इस परीक्षण के दौरान सभी रॉकेटों ने उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन किया और निर्धारित लक्ष्यों को पूरा किया। 13 मई को हुए परीक्षण में कुल तीन रॉकेट परीक्षण किए गए, जिनमें से दो परीक्षणों में एक-एक रॉकेट दागे गए, जबकि एक परीक्षण में 2 सेकंड के भीतर दो रॉकेट साल्वो मोड में दागे गए। सभी चार रॉकेटों ने शानदार प्रदर्शन किया और यह साबित कर दिया कि 'भार्गवास्त्र' बड़ी संख्या में ड्रोन हमलों को प्रभावी रूप से नाकाम कर सकता है।

'भार्गवास्त्र' का नामकरण

इस एंटी-ड्रोन सिस्टम का नाम भगवान परशुराम के प्रसिद्ध अस्त्र 'भार्गव अस्त्र' से लिया गया है। यह अस्त्र परशुराम के पास था और अत्यंत शक्तिशाली माना जाता था। जैसा कि परशुराम का अस्त्र युद्ध के दौरान बेहद प्रभावी था, वैसे ही 'भार्गवास्त्र' भी भविष्य के युद्धों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है।

उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनाती

'भार्गवास्त्र' को समुद्र तल से 5,000 मीटर की ऊंचाई तक के इलाकों में तैनाती के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसे विभिन्न प्रकार के इलाकों में प्रभावी रूप से इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा, इस प्रणाली को भारतीय सेना की सुरक्षा रणनीतियों में एक अहम स्थान मिल सकता है, खासतौर पर पाकिस्तान द्वारा ड्रोन के माध्यम से किए गए हालिया हमलों को देखते हुए।

भारतीय सेना की तैयारियां

भारतीय सेना ने इस प्रणाली के परीक्षण को पूरी तरह से सफल बताया है। सेना के उच्च अधिकारियों के अनुसार, 'भार्गवास्त्र' की मदद से भारत भविष्य में किसी भी प्रकार के ड्रोन हमलों को प्रभावी तरीके से नाकाम कर सकेगा। इसके अलावा, यह प्रणाली हमारी सीमाओं की सुरक्षा में अहम योगदान दे सकती है।

सुरक्षा के नए आयाम

'भार्गवास्त्र' का सफल परीक्षण यह साबित करता है कि भारत की रक्षा तकनीक में निरंतर सुधार हो रहा है। यह सिस्टम भारतीय सेना को एक मजबूत सुरक्षा कवच प्रदान करेगा और साथ ही यह भारत के एंटी-ड्रोन युद्ध क्षमता को भी एक नया आयाम देगा। इसके साथ ही, यह पाकिस्तान जैसे देशों से ड्रोन के जरिए किए जाने वाले संभावित हमलों से निपटने में कारगर साबित होगा।

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