Edited By Pardeep,Updated: 17 Jun, 2025 09:39 PM

छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में नक्सलियों ने एक बार फिर बर्बरता की है। नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर चुके नक्सली नेता दिनेश मोडियम के रिश्तेदारों के तीन लोगों की हत्या कर दी। इसके अलावा, सात ग्रामीणों को बुरी तरह पीटा गया और 12 से अधिक ग्रामीणों को बंधक...
नेशनल डेस्कः छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में नक्सलियों ने एक बार फिर बर्बरता की है। नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर चुके नक्सली नेता दिनेश मोडियम के रिश्तेदारों के तीन लोगों की हत्या कर दी। इसके अलावा, सात ग्रामीणों को बुरी तरह पीटा गया और 12 से अधिक ग्रामीणों को बंधक बना लिया गया। यह हमला नक्सलियों के कमांडर वेला के नेतृत्व में किया गया। बीजापुर के एसपी जितेंद्र यादव ने तीन हत्याओं की पुष्टि की है और पुलिस दल को घटनास्थल के लिए रवाना किया गया है।
यह हमला नक्सलियों की ओर से एक प्रतिशोधात्मक कदम प्रतीत होता है, जिसका उद्देश्य आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के रिश्तेदारों को दंडित करना और स्थानीय लोगों में भय का माहौल बनाना है। घटना के बाद से पेद्दाकोरमा गांव में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है, और पुलिस बलों को संभावित घात या आईईडी हमलों के खतरे के कारण इलाके में प्रवेश में कठिनाई हो रही है।
केंद्र सरकार ने मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद को समाप्त करने का लक्ष्य रखा है। इस दिशा में छत्तीसगढ़ में कई बड़े अभियान चलाए गए हैं, जिनमें अबूझमाड़ और इंद्रावती नेशनल पार्क जैसे नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा बलों ने सफलता प्राप्त की है। हाल ही में, 31 माओवादियों के मारे जाने से नक्सलियों के गढ़ में बड़ी ध्वस्त हुई है।
राज्य सरकार नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने के लिए पुनर्वास नीति लागू कर रही है, जिसके तहत आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों को विभिन्न सुविधाएं प्रदान की जाती हैं, जैसे कि पुनर्वास, रोजगार और शिक्षा। इस नीति के तहत, कई माओवादी आत्मसमर्पण कर समाज की मुख्यधारा में शामिल हो रहे हैं।
हालांकि, नक्सलियों की ओर से की गई इस ताजा हिंसा से यह स्पष्ट होता है कि उनका प्रभाव अभी भी बना हुआ है और वे आत्मसमर्पण करने वालों को दंडित करने के लिए हिंसा का सहारा ले रहे हैं। इससे यह भी संकेत मिलता है कि नक्सलवाद के खिलाफ चलाए जा रहे अभियानों में स्थानीय समुदायों की सुरक्षा और विश्वास को बनाए रखना आवश्यक है।
इस घटना ने यह भी स्पष्ट किया है कि नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई केवल सुरक्षा बलों तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि स्थानीय समुदायों के सहयोग, पुनर्वास और विकास योजनाओं के माध्यम से इसे व्यापक बनाना होगा।