Edited By Pardeep,Updated: 17 Jun, 2025 06:12 AM

महाराष्ट्र के पालघर जिले के जोगलवाड़ी गांव के निवासी सखरम कावर को हाल ही में एक दिल दहला देने वाली स्थिति का सामना करना पड़ा। अपनी मृत नवजात बेटी के शव को एक प्लास्टिक की थैली में लपेटकर उन्होंने राज्य परिवहन की बस से लगभग 70 किलोमीटर दूर अपने गांव...
नेशनल डेस्कः महाराष्ट्र के पालघर जिले के जोगलवाड़ी गांव के निवासी सखरम कावर को हाल ही में एक दिल दहला देने वाली स्थिति का सामना करना पड़ा। अपनी मृत नवजात बेटी के शव को एक प्लास्टिक की थैली में लपेटकर उन्होंने राज्य परिवहन की बस से लगभग 70 किलोमीटर दूर अपने गांव लौटने का कठिन निर्णय लिया। इस कदम के पीछे अस्पताल की ओर से शव वाहन उपलब्ध कराने से इंकार और परिवहन की कोई वैकल्पिक व्यवस्था न होने की मजबूरी थी।
सखरम और उनकी पत्नी अविता (26) दिहाड़ी मजदूरी करके जीवन यापन करते हैं। हाल ही में, सुरक्षित प्रसव के लिए वे अपने गांव लौटे थे। 11 जून को अविता को प्रसव पीड़ा शुरू हुई, लेकिन सरकारी एम्बुलेंस समय पर नहीं आई। कई अस्पतालों के चक्कर लगाने के बाद, 12 जून की रात को नासिक में बच्ची मृत जन्मी। अगली सुबह अस्पताल ने शव सौंप दिया, लेकिन शव ले जाने के लिए कोई एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं कराई। सखरम ने बताया, "मैंने 20 रुपये में थैली खरीदी, बच्ची को कपड़े में लपेटा और बस से गांव लौटा।"
13 जून को जब वह पत्नी को घर लाने नासिक लौटे, तब भी एम्बुलेंस नहीं दी गई। स्वास्थ्य अधिकारियों ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सखरम ने स्वयं एम्बुलेंस लेने से इनकार किया था और अस्पताल ने सभी जरूरी मदद दी।
यह घटना न केवल पालघर जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था की खामियों को उजागर करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कैसे आर्थिक तंगी और प्रशासनिक लापरवाही के कारण गरीब और आदिवासी समुदायों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है।