निवेश कर हर रोज कमाओ ₹53 हजार, AI वीडियो में असदुद्दीन ओवैसी के नाम पर हो रहा था घोटाला

Edited By Mehak,Updated: 07 Jun, 2025 06:33 PM

scam was happening in the name of asaduddin owaisi in ai video

हैदराबाद पुलिस ने ऑनलाइन निवेश योजना का प्रचार करने के लिए सोशल मीडिया मंच पर ‘ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन' (AIMIM) अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी का एक 'डीपफेक' वीडियो प्रसारित होने के बाद मामला दर्ज किया है। पुलिस ने शनिवार को बताया कि कृत्रिम...

नेशनल डेस्क : हैदराबाद पुलिस ने ऑनलाइन निवेश योजना का प्रचार करने के लिए सोशल मीडिया मंच पर ‘ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन' (AIMIM) अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी का एक 'डीपफेक' वीडियो प्रसारित होने के बाद मामला दर्ज किया है। पुलिस ने शनिवार को बताया कि कृत्रिम मेधा (AI) द्वारा तैयार किए गए इस फर्जी वीडियो में ओवैसी की छवि और नाम के साथ-साथ अन्य प्रसिद्ध हस्तियों का दुरुपयोग कर लोगों को गुमराह किया गया है, ताकि लोगों को यह विश्वास दिलाया जा सके कि वह एक निवेश घोटाले को बढ़ावा दे रहे हैं। 

फर्जी वीडियो में प्रतिदिन 53,000 रुपये लाभ का वादा किया गया है। हैदराबाद के सांसद ने पुलिस में दर्ज कराई गई शिकायत में कहा कि वीडियो लोगों को एक घोटाले वाली वेबसाइट में निवेश करने का निर्देश देता है, जिससे निर्दोष व्यक्तियों के पैसे खोने का खतरा उत्पन्न होता है। 

ओवैसी ने शिकायत में कहा, 'यह वीडियो निर्दोष लोगों को लुभाने और मेरे नाम पर दुष्प्रचार करने के लिए दुर्भावनापूर्ण सामग्री के साथ बनाया और अपलोड किया गया है।' पुलिस ने कहा कि वीडियो में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, अरबपति उद्योगपति मुकेश अंबानी और इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति की 'एआई-जनरेटेड क्लिप' हैं। ओवैसी ने पुलिस से अनुरोध किया कि वह सोशल मीडिया मंच को फर्जी वीडियो हटाने का निर्देश दे, मामला दर्ज करके जांच करे और वीडियो की उत्पत्ति का पता लगाए।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने शनिवार को बताया कि ओवैसी की शिकायत के आधार पर साइबर अपराध पुलिस थाने ने पांच जून को आईटी अधिनियम और भारतीय न्याय संहिता (BNS) की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। अधिकारी ने बताया कि सोशल मीडिया मंच से वीडियो को हटाने सहित जांच से जुड़ा कार्य जारी है। 

क्या होता है डीपफेक वीडियो?

डीपफेक एक प्रकार की वीडियो तकनीक होती है जिसमें किसी व्यक्ति के चेहरे और आवाज को एडिट करके उसे ऐसा दिखाया जाता है कि वह कुछ कह या कर रहा हो, जबकि असल में ऐसा कुछ नहीं हुआ होता। ये वीडियो अक्सर AI तकनीक से बनाए जाते हैं और देखने में काफी असली लगते हैं। पुलिस का कहना है कि इस तरह के डीपफेक वीडियो न केवल किसी व्यक्ति की छवि को नुकसान पहुंचा सकते हैं, बल्कि आम जनता को भी भ्रमित कर आर्थिक नुकसान पहुंचा सकते हैं।

 

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