सत्य कहानी: शालिग्राम जी प्रतिमा में बदल गए, आज भी होते हैं दर्शन

Edited By ,Updated: 26 Jul, 2016 08:38 AM

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भगवान श्रीचैतन्य महाप्रभुजी के भक्त श्रील गोपाल भट्ट गोस्वामी जी एक बार उत्तर भारत के तीर्थ भ्रमण के लिये गये। उस समय आप को गण्डकी

भगवान श्रीचैतन्य महाप्रभुजी के भक्त श्रील गोपाल भट्ट गोस्वामी जी एक बार उत्तर भारत के तीर्थ भ्रमण के लिये गये। उस समय आप को गण्डकी नदी के किनारे पर एक शालिग्राम शिला मिली। आप हमेशा उस शिला को व्रजेन्द्र-नन्दन श्रीकृष्ण के रूप में पूजा करते थे। 
 
किसी-किसी के अनुसार श्रील गोपाल भट्ट गोस्वामीजी बारह शालिग्राम की सेवा प्रति-दिन करते थे। 
 
एक बार आपके मन में इच्छा हुई कि यदि श्रीशालिग्राम, मूर्ति (श्रीविग्रह) के रूप में होते तो आप उनकी और भी अच्छी तरह से सेवा करते। अन्तर्यामी भगवान तो अपने भक्त की बात पूरी करते ही हैं। उन्हीं दिनों एक सेठ वहां आया हुए था और भगवान की प्रेरणा से आपको ठाकुर जी के लिये अनेक वस्त्र, आभूषण, इत्यादि दे गया। 
 
आप सोचने लगे कि अगर शालिग्राम जी श्रीमूर्ति (श्रीविग्रह) के रूप में नहीं होंगे तो आप उन्हें इन वस्त्र-अलंकारों से कैसे सजा सकते हैं? यही सोचते हुए रात को आपने शालग्राम जी को सुला दिया। अगले दिन सुबह उठकर देखा तो बारह शालिग्राम के बीच, एक शालिग्राम श्रीराधा-रमण के श्रीविग्रह (मूर्ति) के रूप में सामने थे। 
 
आज भी वृन्दावन के श्रीराधारमण मन्दिर में उनकी नित्य सेवा होती है। 
 
श्री चैतन्य गौड़िया मठ की ओर से 
श्री भक्ति विचार विष्णु जी महाराज
bhakti.vichar.vishnu@gmail.com 

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