भारत में भ्रष्टाचार है बेलगाम

Edited By Updated: 04 Mar, 2025 05:58 AM

corruption is rampant in india

भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने के वायदे वफा होते नजर नहीं आते। दुनिया भर में भ्रष्टाचार के विरुद्ध काम करने वाली गैर-सरकारी संस्था ट्रांसपेरैंसी इंटरनैशनल की नई रिपोर्ट बताती है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए नारे कि ‘न खाऊंगा, न खाने...

भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने के वायदे वफा होते नजर नहीं आते। दुनिया भर में भ्रष्टाचार के विरुद्ध काम करने वाली गैर-सरकारी संस्था ट्रांसपेरैंसी इंटरनैशनल की नई रिपोर्ट बताती है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए नारे कि ‘न खाऊंगा, न खाने दूंगा’ के बावजूद भारत में भ्रष्टाचार बेलगाम है। कारोबारियों के साथ-साथ राजनेताओं और नौकरशाहों के यहां से भी छापों में भारी नकदी की बरामदगी का अर्थ यही है कि खाने-खिलाने का सिलसिला  बंद तो नहीं हुआ है। ट्रांसपेरैंसी इंटरनैशनल द्वारा भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक  सी.पी.आई.  पर आधारित वर्ष 2024 के लिए हाल ही में जारी भ्रष्ट देशों की सूची बताती है कि भ्रष्टाचारमुक्त भारत सपना ही बना हुआ है। इस सूची में शामिल 180 देशों में भ्रष्टाचार के मामले में भारत 38 अंकों के साथ 96वें स्थान पर है,  जबकि साल 2023 में भारत 39 अंकों के साथ 93वें स्थान पर था। दरअसल जिस देश को सी.पी.आई. में ज्यादा अंक मिलते हैं, वहां भ्रष्टाचार कम माना जाता है। 

घटते अंक ज्यादा भ्रष्टाचार का प्रमाण होते हैं, जिनके साथ-साथ सूचकांक में देश की रैंकिंग भी बढ़ती जाती है। हमारे  देश  में भ्रष्टाचार अक्सर राजनीतिक मुद्दा बन कर रह जाता है। इसलिए यह जानना भी जरूरी है कि वर्तमान मोदी सरकार और पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह सरकार के शासनकाल में भ्रष्टाचार के मोर्चे पर भारत का प्रदर्शन तुलनात्मक रूप से कैसा रहा। ट्रांसपेरैंसी इंटरनैशनल द्वारा हर साल जारी की जाने वाली भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक आधारित 180 देशों की सूची बताती है कि पिछले 10 सालों में भारत में भ्रष्टाचार बढ़ा है। पिछले 10 सालों में इस सूची में भारत ने सबसे बेहतर प्रदर्शन साल 2015 में किया था जब उसे रैंकिंग में 76वां स्थान हासिल हुआ था। वैसे साल 2006 और 2007 में भारत क्रमश: 70वें और 72वें स्थान पर भी रहा यानी दोनों ही सरकारों के आरंभकाल में भ्रष्टाचार कम होता नजर आया पर फिर बेलगाम हो गया। हमारा पड़ोसी और प्रतिद्वंद्वी देश चीन 43 अंकों के साथ 76वें स्थान पर बना हुआ है। 

हमारे नीति नियंता इस बात पर संतोष जता सकते हैं कि पड़ोसी देशों में पाकिस्तान की रैंकिंग हमसे भी खराब है। साल 2023 में पाकिस्तान 29 अंकों के साथ 113वें स्थान पर था  लेकिन बीते साल वह 27 अंकों के साथ 135वें स्थान पर पहुंच गया। इस सूची में श्रीलंका और बंगलादेश की रैंकिंग बता कर भी हमारे सत्ताधीश अपनी पीठ थपथपा सकते हैं। बीते साल इस सूची में श्रीलंका 121वें और बंगलादेश 149वें स्थान पर है, लेकिन हमारे पड़ोस में तो छोटा-सा देश भूटान भी है। भ्रष्ट देशों की रैंकिंग में 18वें नंबर पर रहा भूटान दुनिया के खुशहाल देशों में भी गिना जाता है। जाहिर है, वायदों और दावों के विपरीत वास्तविकता हमारी व्यवस्था और मानसिकता पर सवाल खड़े करती है, जिसके जवाब खोजे बिना हम विश्व की तीव्र वृद्धि वाली अर्थव्यवस्था भले बन जाएं बेहतर देश नहीं बन पाएंगे। आॢथक प्रगति में आंकड़ों के महत्व से इंकार नहीं है, लेकिन राष्ट्र की असली प्रगति समाज के सर्वांगीण विकास और खुशहाली में होती है।

लगभग 80 करोड़ लोगों को प्रति माह 5 किलो राशन मुफ्त देने की जरूरत देश की खुशहाली का प्रमाण तो हॢगज नहीं। बढ़ती बेरोजगारी तथा शिक्षा स्वास्थ्य की बदहाल व्यवस्था भी वास्तविक विकास के दावों पर सवालिया निशान  है। इसलिए हमें आंकड़ों पर आधारित आॢथक प्रगति पर आत्ममुग्धता से उभर कर भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक पर आधारित इस सूची में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले देशों से जरूरी सबक भी सीखने होंगे। 90 अंकों के साथ डेनमार्क इस सूची में सबसे ऊपर है, जिसका अर्थ है कि वहां नाममात्र का ही भ्रष्टाचार है। 88 अंकों के साथ फिनलैंड इस सूची में दूसरे स्थान पर है, जिसे विश्व का सबसे खुशहाल देश भी माना जाता है। 84 अंकों के साथ सिंगापुर तीसरे, 83 अंकों के साथ न्यूजीलैंड चौथे और 81 अंकों के साथ लग्जमबर्ग पांचवें स्थान पर है। 

महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि अब विदेश में बसने के इच्छुक भारतीय इन छोटे देशों को भी अपना गंतव्य बनाने लगे हैं। क्या यह बात का संकेतक नहीं कि ये देश उन्हें हर दृष्टि से बेहतर जीवन स्तर का विकल्प नजर आते हैं। बेशक सबसे भ्रष्ट देशों की सूची पर नजर डालना भी जरूरी है। 8 अंकों के साथ दक्षिण सूडान 180 देशों में सबसे भ्रष्ट देश है  जबकि सोमालिया और वेनेजुएला 9 और 10 अंकों के साथ क्रमश: दूसरे और तीसरे भ्रष्ट देश हैं। उनके बाद सीरिया, लीबिया,  इरिट्रिया, यमन और इक्वेटोरिल गिनी का नंबर आता है। वैसे इस सूची में रूस, अमरीका, फ्रांस,  ब्रिटेन और जर्मनी जैसे प्रभावशाली देश क्रमश:  154वें, 28वें, 25वें, 20वें और 15वें स्थान पर हैं। ट्रांसपेरैंसी इंटरनैशनल के मुखिया फ्रैंकोइस वेलेरियन कहते हैं कि भ्रष्टाचार एक  उभरता हुआ वैश्विक खतरा है, जो विकास को रोकता है। साथ ही यह लोकतंत्र में गिरावट, अस्थिरता और मानवाधिकारों के उल्लंघन को भी बढ़ाता है। कहना नहीं होगा कि ज्यादा भ्रष्टाचार वाले देश इन तमाम खतरों से रू-ब-रू हैं। यह भी कि इन खतरों से निपटे बिना देश और समाज के सर्वांगीण विकास के दावे संदेह और सवालों में ही घिरे रहेंगे।-राज कुमार सिंह    
    

Trending Topics

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!