Edited By jyoti choudhary,Updated: 30 Apr, 2025 01:22 PM

भारत में इस साल जनवरी-मार्च 2025 की तिमाही में सोने की मांग 15% घटकर 118.1 टन रह गई है, जबकि बढ़ती कीमतों के कारण इसका मूल्य 22 प्रतिशत बढ़कर 94,030 करोड़ रुपए हो गया। विश्व स्वर्ण परिषद (डब्ल्यूजीसी) के बुधवार को जारी पूर्वानुमान के अनुसार, 2025 तक...
बिजनेस डेस्कः भारत में इस साल जनवरी-मार्च 2025 की तिमाही में सोने की मांग 15% घटकर 118.1 टन रह गई है, जबकि बढ़ती कीमतों के कारण इसका मूल्य 22 प्रतिशत बढ़कर 94,030 करोड़ रुपए हो गया। विश्व स्वर्ण परिषद (डब्ल्यूजीसी) के बुधवार को जारी पूर्वानुमान के अनुसार, 2025 तक भारत की सोने की मांग 700-800 टन के बीच रह सकती है। वर्ष 2025 के आरंभ से सोने की कीमतें 25 प्रतिशत तक बढ़ चुकी हैं, जो 1,00,000 रुपए प्रति 10 ग्राम की सीमा पर पहुंच गई जिससे उपभोक्ता के खरीद के तरीके में बदलाव आया है।
विश्व स्वर्ण परिषद (WGC) के मुताबिक, ऊंची कीमतों के चलते लोग पहले की तुलना में कम सोना खरीद रहे हैं लेकिन अक्षय तृतीया और शादी के मौसम की वजह से बाजार में उत्साह कायम है। WGC इंडिया के सीईओ सचिन जैन ने कहा, “कीमतें जरूर बढ़ी हैं लेकिन सोने का सांस्कृतिक महत्व अब भी उपभोक्ताओं को खरीदारी के लिए प्रेरित कर रहा है।” हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा उच्च भाव के कारण कुछ लोग सावधानी बरत सकते हैं।
हालांकि, गहनों की मांग में सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई, जो 25% घटकर 71.4 टन पर आ गई, यह 2020 के बाद सबसे निचला स्तर है। इसके विपरीत, निवेश के रूप में सोने की मांग 7% बढ़कर 46.7 टन रही, जिससे साफ है कि लोग अब सोने को सुरक्षित निवेश के रूप में अधिक प्राथमिकता दे रहे हैं।
इस तिमाही में सोने का आयात 8% बढ़कर 167.4 टन हो गया, जबकि ऊंची कीमतों के कारण पुराने सोने की री-साइक्लिंग 32% घटकर 26 टन पर आ गई। इस दौरान औसत सोने की कीमत ₹79,633.4 प्रति 10 ग्राम रही। वैश्विक स्तर पर भी सोने की मांग में हल्की बढ़ोतरी हुई और यह 1% बढ़कर 1,206 टन पर पहुंच गई- जो कि 2019 के बाद किसी पहली तिमाही में सबसे अधिक है।